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सिंगरौली

कंपनियों के लिए खिलौना बना आदेश, सडक़ मार्ग से कोल परिवहन पर नहीं लग रहा प्रतिबंध

एनजीटी का आदेश दरकिनार, खतरे में आम आदमी की जान

सिंगरौलीMay 04, 2019 / 02:23 pm

Amit Pandey

No restriction on coal transport in Singrauli by road

No restriction on coal transport in Singrauli by road

सिंगरौली. एनजीटी हो या फिर जिला प्रशासन इनका आदेश कंपनियों के लिए खिलौना बन गया है। यही वजह है कि आम आदमी की जान खतरे में है। ओवरलोड कोयला लेकर सडक़ों पर सरपट दौडऩे वाले कोल वाहन एक ओर जहां बेकसूर लोगों को रौंद रहे हैं। वहीं दूसरी ओर पर्यावरण प्रदूषण का कारण बन रहे हैं।
घर से निकलकर अपने गंतव्य की ओर जाने वाले लोग जब तक घर वापस नहीं लौट आते। तब तक परिजनों को भय की चिंता सताती रहती है क्योंकि यहां कोयला परिवहन कर रहे वाहन खूनी हो गए हैं। आए दिन जिदंगियां कुचल रही हैं। सडक़ों पर चक्काजाम कर विरोध प्रदर्शन किया जाता है। इसके बावजूद इस मामले को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाना पुलिस व प्रशासन की संलिप्तता बयां करता है। कोल वाहनों का प्रदूषण समूचे ऊर्जाधानी में अपना कहर बरपा रहा है लेकिन जिले के अधिकारी हैं कि तमाशबीन बने हुए हैं।
एनजीटी सदस्य व जिला प्रशासन की संयुक्त ओवर साइट कमेटी की बैठक में लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद सडक़ मार्ग से कोल परिवहन पर रोक नहीं लग पा रहा है। जबकि कमेटी के निर्देश के मद्देनजर पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश के सोनभद्र जिले में प्रशासन व प्रदूषण नियंत्रण विभाग ने कोल वाहनों को सडक़ मार्ग से परिवहन करने के लिए प्रतिबंध कर दिया है। अधिकारियों की ओर से यहां देरी क्यों की जा रही है। यह एक बड़ा सवाल है। सडक़ मार्ग से कोल परिवहन सिस्टम की लापरवारही है या मिलीभगत। बताते हैं कि यह सब खेल तापीय कंपनियों के प्रबंधन, ट्रांसपोर्टर व पुलिस के बीच चल रहा है। जिला प्रशासन भी इस गंभीर मामले में दिलचस्पी दिखाने की जरूरत नहीं समझ रहा है। नतीजा चंद रुपयों की लालच में आम आदमी को मौत के मुंह में धकेलने के साथ ही प्रदूषित वातावरण में रहने को मजबूर किया जा रहा है।
बैठक में बनी थी सहमति
ओवर साइट कमेटी की एक मार्च को एनजीटी व जिला प्रशासन सहित तापीय कंपनियों के प्रबंधन की आयोजित बैठक में सडक़ मार्ग से कोल परिवहन को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया।साथ ही अन्य विकल्प की व्यवस्था के लिए दो महीने की मोहलत दी गई। लेकिन कंपनियों ने आदेश को हवा में उड़ा दिया।एनजीटी के आदेश के मद्देनजर कमेटी की बैठक में हुए निर्णय का जिला प्रशासन पालन नहीं करा पा रहा है। यही वजह है कि आज भी सडक़ मार्ग से कोल परिवहन जारी है।
पूर्व का आदेश भी हो रहा है नजरअंदाज
पूर्वमें तत्कालीन कलेक्टर ने कई बार कोयले को ढककर परिवहन करने का निर्देश दिया है लेकिन उसे लागू कराने की दिशा में कड़ाई से कार्रवाई नहीं की गई। कोयला परिवहन कर रहे वाहन संचालक इस समय दबंगई पर उतर आए हैं। बेखौफ होकर बिना ढके कोयले का परिवहन किया जा रहा है। कोयला परिवहन के दौरान बरती जा रही लापरवाही व ओवरलोड पर अंकुश नहीं लग पाना आनेवाले समय में स्थिति और भयावह होगी।
कुचलती जा रही जिंदगियां
प्रदूषण के कारण मुख्य मार्ग पर दो पहिया वाहन चालक सहित पैदल चलने वालों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। प्रदूषण से बचने के लिए दो पहिया वाहन चालक हाइवा से जल्द से जल्द पास लेना चाहते हैं। जिससे अब तक कई बाइक चालक दुर्घटना में अपनी जान गवां चुके हैं। शहर में बढ़ रहे पर्यावरण प्रदूषण और दुर्घटनाओं के मद्देनजर सडक़ मार्ग से कोल परिवहन को प्रतिबंधित किया गया। प्रतिबंध का फरमान एनजीटी के सदस्य व उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति ने दिया था।
यह है स्थिति:
8 00 बड़े वाहन परिवहन में लगे
50 हजार टन कोयले का एक दिन में परिवहन
11 ट्रांसपोर्टरों के जरिए हो रहा परिवहन
04 कंपनियों के लिए हो रहा परिवहन

सरइ क्षेत्र में लगी रहती है वाहनों की कतार
गजरा बहरा. प्रतिबंध के बावजूद सरइ क्षेत्र में सडक़ मार्ग पर कोल परिवहन करने वाले वाहनों की लंबी कतार लगी रहती है। नियम विरूद्ध तरीके से हो रहे कोल परिवहन को लेकर सरई थाने की पुलिस भी खामोश हैं। नतीजा गजरा बहरा सहित आसपास का पूरा क्षेत्र पर्यावरण प्रदूषण की चपेट में हैं। स्थानीय लोगों ने पूर्व में धरना प्रदर्शन कर कोल परिवहन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया, लेकिन परिवहन अनवरत जारी रहा है। गौरतलब है कि वहां एस्सार कंपनी की ओर से वहां क्षेत्र में कोल परिवहन किया जाता है।
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