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सिंगरौली

मासूमों पर कहर बरपा रहा मौसम, हर रोज पहुंच रहे 20 से 25 मरीज, जिला अस्पताल में बढ़ी बाल मरीजों की संख्या

ज्यादातर उल्टी व दस्त से पीडि़त….

सिंगरौलीJul 04, 2019 / 02:09 pm

Amit Pandey

Number of patients increased in Singrauli district hospital

Number of patients increased in Singrauli district hospital

सिंगरौली. कहर बरपा रही उमस भरी गर्मी मासूम बच्चों के लिए आफत बन गई है। मौसम में बढ़ी नमी के चलते बच्चे डायरिया की चपेट में आ रहे हैं। जिला अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचने वाले बच्चों की संख्या मौसम के कहर को बयां कर रही है। हर रोज 20 से 25 बच्चे जिला अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे हैं। ज्यादातर की हालत गंभीर बनी रहती है। उन्हें भर्ती करना एक मात्र विकल्प होता है।
जिला अस्पताल में हर रोज पहुंच रहे गंभीर बाल मरीजों की बड़ी तादात से अस्पताल के वार्ड फुल हो गए हैं। यही वजह है कि बच्चों की तबियत में थोड़ा सुधार के बाद ही उनकी छुट्टी करनी पड़ रही हैं। बाकी आने वाले गंभीर बच्चों को भर्ती कर उनका इलाज किया जा सके, इसके लिए चिकित्सक बच्चों को पूरी तरह से ठीक होने के पहले ही उनकी छुट्टी कर दे रहे हैं।
दस्तक नियंत्रण पखवाड़ा के दौरान यह हाल
बच्चों के डायरिया की चपेट में आने का यह नतीजा उस स्थिति में है, जब गांवों में दस्तक नियंत्रण पखवाड़ा चल रहा है। शासन के निर्देश पर घर-घर जाकर ओआरएस पैकेट व जिंक के टेबलेट बांटे जा रहे हैं। इसके बावजूद बच्चे डायरिया की चपेट में आ रहे हैं। अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञों का इसको लेकर दलील है कि मौसम के बदलते तेवर और हवा में नमी वाले इस सीजन में डायरिया उल्टी-दस्त की संभावना अधिक होती है। खासतौर पर गर्मी के मौसम के बाद बारिश होने पर बच्चों में डायरिया का संक्रमण तेजी के साथ फैलता हे।
मंगलवार को देखने को मिला यह उदाहरण
बेलवार गांव निवासी चंदन को अचानक उल्टी शुरू हुई। इलाज के लिए उसे जिला अस्पताल लाया गया।डाक्टरों ने उसे भर्ती किया। जगह के अभाव में उसका जमीन पर ही इलाज शुरू कर दिया गया।डक्टरों ने कहा कि शाम तक रूकना है यदि उल्टी नहीं हुई छुट्टी कर देंगे। बेलवार से चंदन महज एक उदाहरण हैं।वर्तमान में जिला अस्पताल में ज्यादातर बच्चे इसी तरह बीमारी की चपेट में आकर जिला अस्पताल पहुंच रहे हैं।
कम से कम पांच दिन होना चाहिए इलाज
चिकित्सक खुद इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि उल्टी-दस्त से पीडि़त भर्ती बच्चों का इलाज कम से कम पांच दिन तक होना चाहिए।लेकिन उन्हें अधिकतम तीन दिन में ही सुधार की स्थिति को देखते हुए अस्पताल से डिस्चार्ज करना पड़ रहा है। क्योंकि अस्पताल के वार्डों में जगह नहीं है। फर्श पर बच्चों को लिटाकर जैसे तैसे इलाज किया जा रहा है।

देखभाल करें परिजन
शिशु रोग विशेषज्ञों की परिजनों को सलाह है कि छोटे बच्चों को पर्याप्त मात्रा में शुद्ध पानी पिलाएं। पानी पहले उबाल लें और फिर ठंडा करके पिलाएं।बासी व बाहर के खाद्य पदार्थों से तौबा करें। इस मौसम में खाद्य पदार्थों में संक्रमण की संभावना अधिक होती है। इसलिए घर में बना ताजा खाद्य पदार्थ ही बच्चों को खिलाया जाए। उल्टी-दस्त होने पर तत्काल चिकित्सक की सलाह दें और ओआरएस दें।

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