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सिंगरौली

लॉकडाउन-4 में मिली बंपर छूट, लेकिन ज्यादातर केवल कागज तक सीमित

हकीकत में है प्रतिबंध जैसी स्थिति….

सिंगरौलीMay 27, 2020 / 11:16 pm

Ajeet shukla

Loss of crores to bus operators waiting for tax relief in Singrauli

Loss of crores to bus operators waiting for tax relief in Singrauli

सिंगरौली. कहने को तो लॉकडाउन-4 में होटल, रेस्टोरेंट व स्कूल-कॉलेजों को छोड़कर बाकी लगभग सभी क्षेत्र में छूट दे दी गई है, लेकिन हकीकत में ज्यादातर छूट अभी भी केवल कागजी हैं। लोक परिवहन संचालन से लेकर सैलून और ब्यूटी पार्लर खोलने तक कई छूट नियम-कायदों व लोगों में कोरोना को लेकर भय के बीच केवल कागजी साबित हो रहे हैं। जिले के बाहर आने और जाने की छूट भी केवल नाम की है।
लॉकडाउन में समय-समय पर मिली छूट में सबसे महत्वपूर्ण लोक परिवहन का संचालन रही है, लेकिन तीसरे चरण में मिलने वाली इस छूट का अभी तक कोई प्रतिफल देखने को नहीं मिला है। कलेक्टर की ओर से जारी निर्देशों के अनुरूप बस व ऑटो जैसे वाहनों का संचालन जिले की सीमा के भीतर किया जा सकता है। चौथे चरण में यह छूट छोटे वाहनों के लिए जिले के बाद ग्रीन जोन वाले जिलों तक विस्तारित हो गई है। इसके बावजूद बस व ऑटो के पहिए थमे हुए हैं। इसके पीछे जारी नियम-कायदों को माना जा रहा है।
लोक परिवहन के संचालन के लिए निर्देश है कि सोशल डिस्टेंसिंग की व्यवस्था के पालन के मद्देनजर बसों में सीट की तुलना में एक तिहाई यात्री बैठाए जाएं। इसके अलावा ऑटो में भी अधिक दो लोगों को बैठाने की इजाजत है। इन सबके बीच किराए में बढ़ोत्तरी की इजाजत नहीं है। ऐसे में बस व ऑटो मालिकों को वाहन चलाना घाटे का सौदा माना जा रहा है। यही वजह है कि छूट बावजूद पूर्व की भांति लोक परिवहन ठप है।
यह छूट भी केवल नाम की हो रही है साबित

– सैलून, स्पा व ब्यूटी पार्लर जैसी दुकानों को भी खोलने की छूट दी गई है, लेकिन अभी ज्यादातर दुकानें बंद हैं। कोरोना संक्रमण के डर से कुछ कारीगर काम करने को तैयार नहीं हैं तो दुकानों पर पहुंचने वाले ग्राहकों की संख्या भी नहीं के बराबर है। सैलून संचालक की माने तो अभी व्यवसाय को रफ्तार पकडऩे में वक्त लगेगा।
– निर्माण कार्य भी केवल नाम मात्र के लिए है शुरू। प्रशासन ने सरकारी निर्माण कार्यों के साथ निजी निर्माण कार्यों को शुरू करने की छूट दे रखी है, लेकिन कुछ अपवाद को छोड़ दिया जाए तो ज्यादातर लोग काम शुरू करने को तैयार नहीं है। निर्माण सामग्री का महंगा होना और श्रमिकों का नहीं मिलना इसकी मूल वजह है।
– ग्रीन जोन वाले जिलों में आने-जाने की छूट भी केवल कागज तक सीमित होकर रहने वाली है। क्योंकि लोक परिवहन के अभाव में इस छूट का दायरा भी केवल चंद लोगों तक ही सीमित रहेगा। जब तक लोक परिवहन का संचालन शुरू नहीं हो जाता, यह छूट भी केवल कागज तक सीमित रहने वाली जान पड़ रही है।
– बाजारों को खोलने की छूट भी व्यावसाईयों के लिए बहुत अधिक राहत देने वाली नहीं है। क्योंकि बाजार में सभी दुकान खुली होने के बावजूद लोग केवल अतिआवश्यक वस्तुओं की ही खरीदारी कर रहे हैं। पंूजीगत सामानों की खरीदारी नहीं के बराबर है। शादी-विवाह स्थगित होना भी एक मुख्य वजह है।

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