स्थानीय भाजपा नेताओं में आक्रोश का कारण सिंगरौली को नजरअंदाज किया जाना बताया जा रहा है। इस संबंध में जिलाध्यक्ष कांतदेव सिंह से बात की गई तो उन्होंने इस्तीफा देने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि सीधी संसदीय क्षेत्र के लिए न ही जिलाध्यक्ष होने के नाते उनसे और न ही कार्यकर्ताओं से रायशुमारी ली गई है। ऐसे में पद पर बने रहने का क्या मतलब है।
सीधी संसदीय क्षेत्र में पूरा सिंगरौली जिला आता है। ऐसे में सिंगरौली की जनता, नेता और कार्यकर्ता की राय महत्व रखती है। फिलहाल जिलाध्यक्ष के इस्तीफा के बाद संसदीय क्षेत्र से लेकर प्रदेश की राजधानी भोपाल तक घमासान मचा हुआ है। सूत्रों की माने तो इस्तीफा की खबर दिल्ली में पार्टी शीर्ष तक पहुंच गई है।