scriptसड़क है या कोयले की खदान: रेलवे स्टेशन से कसर गेट तक सड़क हुई ‘किलर’ | Road or mine: From the station to Kaser Gate, the street happened 'Kil | Patrika News
सिंगरौली

सड़क है या कोयले की खदान: रेलवे स्टेशन से कसर गेट तक सड़क हुई ‘किलर’

धूल की उठती की गुबार से लोग परेशान

सिंगरौलीNov 17, 2018 / 07:41 pm

Anil singh kushwah

Road or mine: From the station to Kaser Gate, the street happened 'Killer'

Road or mine: From the station to Kaser Gate, the street happened ‘Killer’

सिंगरौली. कहने को तो सड़क है, लेकिन हाल कोयले की खदान सरीके है। सड़क में गड्ढ़े और वहां गुजरने वाले भारी वाहन के चलते धूल की भयानक गुबार उठती है। मजबूरन राह चलने वालों के साथ वहां सड़क के किनारे बसे लोग धूंल फांक रहे हैं। बात मोरवा रेलवे स्टेशन से कसर गेट तक की सड़क और वहां की स्थिति की कर रहे हैं। भारी वाहनों के चलते पूरी गहरे गड्ढ़ों में तब्दील हो चुकी सड़क का हाल यह है कि गोरबी बस स्टैंड जाते समय राहगीरों का बुरा हाल होता है। इधर, कसर गेट तक का सफर जीवन दांव पर लगाने जैसा है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता कि स्थानीय लोगों ने सड़क का नाम किलर रोड रख दिया है। वजह, आए दिन इस रोड पर दुर्घटनाएं होती हैं।
मोरवा में राहगीर फांक रहे धूल
जिला मुख्यालय से महज 30 किलोमीटर दूरी पर मोरवा रेलवे स्टेशन स्थित है। मोरवा स्टेशन से गोरबी बस स्टैंड के बीच हर रोज सैकड़ों की संख्या में वाहन चलते हैं। कोयला ढोने वाले भारी वाहन भी इनमें शामिल होते हैं। नतीजा सड़क से धूल और वाहनों से कोयले का गुबार उठता है, जो राहगीरों में श्वास के जरिए फेफड़ों तक पहुंच रहा है। कसर गांव के संदीप बताते हैं कि मोरवा रेलवे स्टेशन से गोरबी बस स्टैंड के बीच सड़क ही खत्म हो गई है। चौबीस घंटे हाइवा मौत बनकर सड़क में दौड़ रहे हैं। धूल से सांस लेना मुश्किल हो गया है। अवनीश ने कहा कि बीते सालभर से यह सड़क जानलेवा बन चुकी है। सड़क निर्माण की जिम्मेदारी कोयला कंपनी की है, क्योंकि भारी वाहन कंपनी से ही कोयला लेकर जाते हैं।
कलेक्टर का निर्देश भी बेअसर
बिना उचित प्रबंध के सड़क मार्ग से कोयला परिवहन प्रतिबंधित है। कलेक्टर अनुराग चौधरी दीपावली से पहले ही एक बैठक के दौरान एनजीटी के नियमों का हवाला देते हुए सड़क मार्ग से कोयला परिवहन पर प्रतिबंध लगाया है। इसके बावजूद भारी वाहनों से कोयले का परिवहन जारी है।
प्रदूषण की चपेट में 10 हजार से अधिक आबादी
मोरवा से कसर के बीच करीब दस किलोमीटर दूरी में करीब 10 हजार लोगों की आबादी है, जो उठने धूल व कोयले के गुबार के चलते प्रदूषण का दंश झेल रहे हैं। सड़क बनाने की जिम्मेदारी नजदीक में स्थित कोयला कंपनी की है, लेकिन जिम्मेदार मुंह फेरे हुए हैं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो