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सिंगरौली

ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल प्रस्ताव वर्षों से ठंडे बस्ते में

कलेक्टर ने जारी किया ऐसा निर्देश कि उड़ी अधिकारियों की नींद ….

सिंगरौलीJun 17, 2021 / 11:30 pm

Ajeet shukla

Singrauli Collector directed officers engaged in corona duty

Singrauli Collector directed officers engaged in corona duty

सिंगरौली. शहरी क्षेत्र के विकास को लेकर वैसे तो कई प्रस्ताव अधर में है, लेकिन इन सब में महत्वपूर्ण परसौना बायपास रोड के प्रस्ताव को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। पिछले 5 वर्ष से अधिक समय से लंबित बायपास के प्रस्ताव को लेकर अधिकारियों की उदासीनता का अंदाज केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि अभी तक उसकी प्रोजेक्टर रिपोर्ट तक नहीं तैयार की गई चुकी है। जिम्मेदारी पीडब्ल्यू को दी गई है।
विभागीय अधिकारियों की सुस्त कार्य प्रणाली के चलते बायपास निर्माण की योजना परवान नहीं चढ़ पा रही है। फिलहाल कलेक्टर राजीव रंजन मीना ने बायपास को लेकर रुचि दिखाई है। उन्होंने पीडब्ल्यूडी से एक सप्ताह के भी भीतर प्राथमिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।सीधी से देवसर व बरगवां होते हुए जिला मुख्यालय के लिए आने वाली सड़क पर मुख्यालय के नजदीक आते-आते ट्रैफिक बढ़ जाता है। आने वाले कुछ ही वर्षों में स्थिति नियंत्रण से बाहर होगी।
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में इसके मद्देनजर परसौना से शक्तिनगर के लिए बायपास सड़क बनाने की योजना तो शामिल कर दी गई, लेकिन कई वर्ष बीत जाने के बावजूद अभी तक सारी कवायद आदेश निर्देश तक सीमित होकर रह गई है। बायपास निर्माण को लेकर प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी कभी एमपीआरडीसी को दी जाती है तो कभी पीडब्ल्यूडी को। फिलहाल एक दिन पहले एक बैठक में पीडब्ल्यूडी को प्राथमिक रिपोर्ट बनाकर देने को है।
बायपास को लेकर दो विकल्पों पर चर्चा
बायपास को लेकर यह तो निर्णय कर लिया गया है कि बायपास परसौना के आगे देवरी ग्राम से शुरू किया जाना है, लेकिन अभी तक बायपास का रूट क्या होगा, यह तय नहीं हो सका है। इसको लेकर पूर्व में आयोजित बैठकों में दो विकल्प बताए जा रहे हैं। फिलहाल कलेक्टर ने पीडब्ल्यूडी से दोनों विकल्पों पर अपनी रिपोर्ट देने को कहा है।
25 किलोमीटर लंबा हो सकता बायपास
बायपास को लेकर बैठक में हुई चर्चा में यह भी कहा गया है कि बायपास के लिए रूट व डिजाइन यह ध्यान में रख कर बनाया जाए कि वह शहर से दूर हो। इस स्थिति में बायपास की लंबाई 25 किलोमीटर तक होने की संभावना है। यह निर्देश इसलिए दिया गया है कि ताकि कुछ वर्षों बाद बायपास शहरी क्षेत्र के विस्तार के बाद बस्ती में आ जाए।
दोनों विकल्पों में किसानों की पड़ेगी जमीन
बायपास के लिए अधिकारी चाहे जो विकल्प चुने दोनों ही विकल्पों में किसानों की जमीन पड़ेगी। किसानों को जमीन के बदले जमीन देने की कोशिश की जाएगी। क्योंकि अधिग्रहण करने के लिए प्रशासन को शासन से अनुमति व बजट दोनों ही नहीं मिलने वाला है। बायपास का निर्माण स्थानीय स्तर पर बजट की व्यवस्था कर किए जाने का निर्देश है।

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