scriptइस शिक्षक के जज्बे को सलाम जिन्होंने कोरोना काल में बच्चों को शिक्षित करने को पेश की मिसाल | Singrauli teacher Sharad Pandey set an example during Corona era | Patrika News
सिंगरौली

इस शिक्षक के जज्बे को सलाम जिन्होंने कोरोना काल में बच्चों को शिक्षित करने को पेश की मिसाल

-बाइक पर लाउडस्पीकर और ब्लैक बोर्ड लगा पड़ा रहे हैं

सिंगरौलीSep 19, 2020 / 03:33 pm

Ajay Chaturvedi

मोहल्ला कक्षा में छात्रों को पढ़ाते सरकारी अध्यापक शरद पांडेय

मोहल्ला कक्षा में छात्रों को पढ़ाते सरकारी अध्यापक शरद पांडेय

सिंगरौली. इन शिक्षक के जज्बे को सलाम। एक तरफ जहां आज ज्यादातर शिक्षक वेतनभोगी प्रोफेशलन हो चुके हैं। शासन स्तर से लगातार इनसे काम लेने के लिए तमाम तरह के नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। वहीं कुछ ऐसे शिक्षक हैं, जिन्हें अपने छात्रों से बेहद प्यार है। वो यह बर्दाश्त नहीं कर पाते कि उनका शिष्य पढ़ाई में कमजोर हो या उसे किसी भी रूप में शिक्षा से वंचित होना पड़े। ऐसे ही एक शिक्षक ने अपने जज्बे से लोगों को प्रभावित किया है। लोग उनका बेइंतिहां सम्मान कर रहे हैं। बड़े अदब से उनका नाम लेते हैं।
ये शिक्षक और कोई नहीं बल्कि सिंगरौली के शाहपुर नवजीवन विहार के सरकारी स्कूल के टीचर शरद पांडेय हैं। कोरोना संक्रमण के शुरूआती दौर में जब स्कूल बंद हो गए तभी से ये बेचैन रहे। फिर नया सत्र शुरू होने के बाद ऑनलाइन एजुकेशन का प्रचलन आया। लेकिन इन्होंने यह महसूस किया कि ऑनलाइन शिक्षण प्रणाली में एक तो बच्चे उतने सहज नहीं हो पा रहे हैं। इसकी स्वीकार्यता वैसी नहीं बन पा रही है जितनी अपेक्षा की जा रही है। दूसरे गांव-गिरांव के ऐसे बच्चे जिनके माता-पिता बच्चों के लिए लैपटॉप और स्मार्ट फोन नहीं खरीद सकते, उनके लिए इन्होंने मोहल्ला कक्षा की शुरूआत की।
मोहल्ला कक्षा के तहत पांडेय सर ने अपनी बाइक में स्टैंड के मार्फत ब्लैक बोर्ड व लाउड स्पीकर फिट करा दिया है। अब वह इसके माध्यम से कक्षा संचालित करते हैं। शिक्षक शरद पाण्डेय का कहना है कि महज एक साल में विद्यालय की गतिविधि में व्यापक परिवर्तन आया है।
शिक्षक शरद पांडेय बताते हैं कि शुरुआती लॉकडाउन में बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित हो रही थी। लॉकडाउन- 4 लगते ही ऐसा लगा कि बच्चों की पढ़ाई का तरीका बदला जाए, ताकि उनकी पढ़ाई प्रभावित ना हो। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई के लिए स्थान चिन्हित किया फिर एक बोर्ड, लाउडस्पीकर और कुछ किताबें मोटरसाइकिल में स्टैंड बनाकर शुरू कर दी पढ़ाई।
इसके तहत शाहपुर स्कूल के नवजीवन एक, दो, तीन और चार सेक्टर को चिन्हित किया गया। इन सेक्टरों के आसपास रहने वाले बच्चों और उनके माता-पिता को पहले इस बात की जानकारी दी गई। अभिभावकों से राय मशविरा लिया गया। बच्चों और अभिभावकों की पढ़ाई के प्रति जिज्ञासा को देख अपने बनाए गए रूट के हिसाब से बच्चों तक पहुंचना शुरू किया।
अब बच्चों को विज्ञान, अंग्रेजी के अलावा उन्हें जिस विषय में परेशानी होती है उसे भी दूर करने की पूरी कोशिश की जा रही है। बोर्ड पर लिखने और समझाने से सभी छात्रों को एक साथ समझा आ जाता है। वही खुले स्थान पर सुनाई नहीं देने की स्थिति में लाउडस्पीकर का भी प्रयोग करते हैं ताकि बच्चों को पढ़ाई में कोई असुविधा नहीं हो।
शरद पांडेय सर बताते हैं कि शुरुआती दौर में पढ़ाई के लिए जब हम घर से निकले तो पाया कि बोर्ड और स्पीकर के बगैर बच्चों को पढ़ाना महज दिखावा रह जाएगा। ऐसे में खुद मैंने एक बोर्ड और लाउडस्पीकर खरीदा जिससे बच्चों को बोर्ड में आसानी से समझाया जा रहा है तो वहीं आवश्यकता के अनुसार स्पीकर का भी प्रयोग कर लेते हैं।
पांडेय सर का कहना है कि अब रोजाना 3 से 4 किमी एरिया में जाकर बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। शरद पांडेय की इस अनूठी पहल पर राज्य शिक्षा केंद्र ने भी उन्हें बधाई दी है। इस पहल से रोजाना करीब 50 से 60 बच्चे डेढ़ से 2 घंटे की पढ़ाई कर रहे हैं। वह बताते हैं कि मोहल्ला कक्षा में कोरोना प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाता है। खास तौर पर देह की दूरी के मानक को पूरी तरह से फॉलो करते हैं। वह कहते हैं कि मेरी कोशिश होगी कि जब तक लॉकडाउन का असर रहेगा तब तक मैं इन बच्चों को लगातार पढ़ाता रहूं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो