शासन से लेकर स्थानीय स्तर तक के शिक्षा अधिकारियों को इस बात की जानकारी पहले ही रही है कि शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के चंद महीने बाद विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आचार संहिता लागू हो जाएगी। इसके बावजूद शिक्षा अधिकारियों की ओर से छात्रों के लिए साइकिल की व्यवस्था नहीं की गई। नतीजा आचार संहिता लागू होने के बाद योजनाओं से संबंधित गतिविधियों पर चुनाव आयोग का प्रतिबंध लग गया।
स्थिति यह बनी कि अभी तक छात्र-छात्राओं को साइकिल नसीब नहीं हुआ है। जबकि शासन की ओर से करोड़ों रुपए खर्च कर दिए गए हैं। साइकिल निविदा के जरिए प्राप्त की जा रही है। टेंडर के जरिए साइकिल खरीदे जाने के साथ भुगतान भी हो चुका है। यह बात और है कि छात्रों तक साइकिल नहीं पहुंची है। गौरतलब है कि जिले के लिए 10420 साइकिल का लक्ष्य है। इस हिसाब से साइकिल पर साढ़े तीन करोड़ रुपए से अधिक का बजट खर्च किया जा चुका है।
जिले के 80 फीसदी छात्र साइकिल से वंचित
साइकिल वितरण योजना के तहत जिले में चिह्नित छात्र-छात्राओं की संख्या के मद्देनजर अभी 80 फीसदी छात्रों को साइकिल मिलने का इंतजार है। अधिकारियों की ओर से जिले में 10420 छात्र-छात्राओं को साइकिल के लिए पात्रों की सूची में शामिल किया गया है, लेकिन अभी तक महज 2300 छात्रों को ही साइकिल मिल सकी है। यह संख्या लक्ष्य के सापेक्ष करीब 22 फीसदी है। अधिकारी आचार संहिता लागू होने को मुख्य वजह बता रहे हैं। जबकि हकीकत लापरवाही है।
बैढऩ विकासखंड के सभी छात्र-छात्राएं वंचित
खुद शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि जिले के बैढऩ विकासखंड के एक भी छात्र को साइकिल नहीं मिल सकी है। जबकि चितरंगी में चिह्नित 4006 छात्रों के सापेक्ष अभी केवल 1200 साइकिल का वितरण संभव हो पाया है। इसी प्रकार देवसर में चिह्नित पात्र 2964 छात्रों के सापेक्ष 1100 साइकिल का वितरण हुआ है। बैढऩ में 3450 छात्र-छात्राएं साइकिल के लिए पात्रों की सूची में शामिल हैं, लेकिन किसी को भी साइकिल नसीब नहीं हुई है।