आदिवासी विकास विभाग के वनाधिकार योजना से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक जिले में वनभूमि पर पट्टा लेने की मंसा से 16191 आवेदन प्राप्त हुए थे, लेकिन इनमें परीक्षण व सत्यापन के बाद आधे से अधिक आवेदक अपात्र घोषित कर दिए गए हैं। यह हाल तब है जबकि कलेक्टर के निर्देश पर आवेदनों की दोबारा जांच की गई है। आवेदकों की पात्रता में निर्धारित शर्ते आड़े आ रही हैं।
अब तक केवल 407 को मिला आवेदन
अधिकारियों के मुताबिक करीब दो वर्ष से शुरू प्रक्रिया में अब तक केवल 407 लोगों को वनाधिकार पट्टा दिया जा सका है। बाकी आवेदनों को लेकर ग्राम पंचायत, जनपद और जिला पंचायत स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। माना जा रहा है कि वनाधिकार पट्टा प्राप्त करने वालों में संख्या आवेदन की तुलना में काफी कम रहने वाली है। क्योंकि आधे से अधिक का आवेदक अपात्र माने जा रहे हैं।
अधिकारियों के मुताबिक करीब दो वर्ष से शुरू प्रक्रिया में अब तक केवल 407 लोगों को वनाधिकार पट्टा दिया जा सका है। बाकी आवेदनों को लेकर ग्राम पंचायत, जनपद और जिला पंचायत स्तर पर प्रक्रिया चल रही है। माना जा रहा है कि वनाधिकार पट्टा प्राप्त करने वालों में संख्या आवेदन की तुलना में काफी कम रहने वाली है। क्योंकि आधे से अधिक का आवेदक अपात्र माने जा रहे हैं।
एक बार और परीक्षण की तैयारी
अपात्र ठहराए गए आवेदकों के आवेदन की पात्रता एक बार फिर जांचने की तैयारी है। जिला प्रशासन का यह निर्णय अभी हाल में मुख्यमंत्री द्वारा चितरंगी में की गई घोषणा के मद्देनजर माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने भूमि से वंचित सभी लोगों को पट्टा दिए जाने की बात कही है। इसी के मद्देनजर जिला प्रशासन की ओर से आवेदन का एक बार और परीक्षण कराए जाने पर विचार चल रहा है।
अपात्र ठहराए गए आवेदकों के आवेदन की पात्रता एक बार फिर जांचने की तैयारी है। जिला प्रशासन का यह निर्णय अभी हाल में मुख्यमंत्री द्वारा चितरंगी में की गई घोषणा के मद्देनजर माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने भूमि से वंचित सभी लोगों को पट्टा दिए जाने की बात कही है। इसी के मद्देनजर जिला प्रशासन की ओर से आवेदन का एक बार और परीक्षण कराए जाने पर विचार चल रहा है।
ये शर्तें बन रही बाधा
– आदिवासियों के लिए पट्टा प्राप्त करने की शर्त यह है कि वह संबंधित जमीन पर वर्ष 2005 से पहले से काबिज हों। उन्हें प्रमाण भी देना होगा।
– आदिवासियों के अलावा अन्य वर्ग के लिए कब्जा की अवधि 75 वर्ष यानी तीन पीढिय़ों से जमीन पर काबिज होने की अनिवार्यता निर्धारित की गई है।
– आवेदकों के लिए वर्ष 2005 से बालिग होना अनिवार्य है। वर्ष 2005 से नाबालिग होने की स्थिति में आवदेकों को पात्र नहीं माना जा रहा है।
– शर्तों के अनुरूप 4 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि के पट्टा के लिए आवेदन स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। आवेदक की पात्रता निरस्त कर दी जा रही है।
– आदिवासियों के लिए पट्टा प्राप्त करने की शर्त यह है कि वह संबंधित जमीन पर वर्ष 2005 से पहले से काबिज हों। उन्हें प्रमाण भी देना होगा।
– आदिवासियों के अलावा अन्य वर्ग के लिए कब्जा की अवधि 75 वर्ष यानी तीन पीढिय़ों से जमीन पर काबिज होने की अनिवार्यता निर्धारित की गई है।
– आवेदकों के लिए वर्ष 2005 से बालिग होना अनिवार्य है। वर्ष 2005 से नाबालिग होने की स्थिति में आवदेकों को पात्र नहीं माना जा रहा है।
– शर्तों के अनुरूप 4 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि के पट्टा के लिए आवेदन स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। आवेदक की पात्रता निरस्त कर दी जा रही है।