संतोषजनक नहीं मानसून की चाल
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री आरएएस कौशिक के अनुसार अब तक की वर्षा को जिले के लिए संतोषजनक नहीं मान सकते। जिले के अधिकतर बांध आधे या उससे मामूली अधिक ही भर पाए हैं। मानसून के दौरान इनमें पूर्ण क्षमता से जल संचय नहीं होता तो खरीफ में ही फसल की पूरी सिंचाई कराना मुश्किल हो जाएगा। आगामी रबी सीजन में तो बांधों में सिंचाई के लिए कुछ बचना संभव ही नहीं होगा। सभी बांधों में ७५ प्रतिशत या उससे अधिक जल संग्रह होने पर ही संतोष कर सकते हैं। इससे पहले चिंता का भाव बना रहेगा।
जल संसाधन विभाग के कार्यपालन यंत्री आरएएस कौशिक के अनुसार अब तक की वर्षा को जिले के लिए संतोषजनक नहीं मान सकते। जिले के अधिकतर बांध आधे या उससे मामूली अधिक ही भर पाए हैं। मानसून के दौरान इनमें पूर्ण क्षमता से जल संचय नहीं होता तो खरीफ में ही फसल की पूरी सिंचाई कराना मुश्किल हो जाएगा। आगामी रबी सीजन में तो बांधों में सिंचाई के लिए कुछ बचना संभव ही नहीं होगा। सभी बांधों में ७५ प्रतिशत या उससे अधिक जल संग्रह होने पर ही संतोष कर सकते हैं। इससे पहले चिंता का भाव बना रहेगा।
यहां सबसे अधिक चिंता
जिले के कुछ जलाशयों में तो अब तक क्षमता का 25 प्रतिशत तक ही जल संग्रह हुआ है जो सबसे अधिक चिंताजनक है। कुछ में जल संग्रह की स्थिति इस प्रकार है:
जिले के कुछ जलाशयों में तो अब तक क्षमता का 25 प्रतिशत तक ही जल संग्रह हुआ है जो सबसे अधिक चिंताजनक है। कुछ में जल संग्रह की स्थिति इस प्रकार है:
जलाशय का नाम जल संग्रह प्रतिशत जुडेनिया जलाशय 13
अहिलो जलाशय 17
बसौरा जलाशय 06
चितरंगी जलाशय 09
चितरबई जलाशय 03
मझौली जलाशय 21
नादो जलाशय 16
सुखार जलाशय 11
काचन बांध 36