महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसरों के लिए यह चिंताजनक है। आंगनबाड़ी केंद्रों में छह माह से तीन वर्ष तक के बच्चों को पूरक पोषण आहार वितरण किया जा रहा है। साथ ही तीन से छह वर्ष तक के बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जा रहा है, लेकिन कुपोषण की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
सबसे खराब स्थिति देवसर व चितरंगी की है। यहां परियोजना अधिकारी व सेक्टर पर्यवेक्षक अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहे हैं। इस समस्या की ओर जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से कुछ ठोस पहल नहीं कर पा रहे हैं। आंगनबाड़ी केन्द्रों से लेकर परियोजना व डीपीओ कार्यालय तक सब कुछ कागज में चल रहा है।
मुंह चिढ़ा रही शासन की योजनाएं
कुपोषित बच्चों को पोषणयुक्त बनाने के लिए कई योजनाओं का संचालन किया जा रहा है, लेकिन यह जानकर हैरत मेें हो जाएंगे कि सभी योजनाओं में महकमा केवल खानापूर्ति कर रहा है। महिला एवं बाल विकास विभाग के लिए शासन स्तर से पूरक पोषण आहार, पौष्टिक भोजन के साथ ही कई योजनाएं संचालित हो रही हैं लेकिन नतीजा मंसा के अनुरूप दिखाई नहीं दे रहा है।
परियोजनावार अति कुपोषित बच्चों की संख्या
परियोजना-अति कुपोषित बच्चों की संख्या
चितरंगी-285
चितरंगी-2-391
देवसर-694
बैढऩ ग्रामीण-148
बैढऩ ग्रामीण-2-173
बैढऩ शहरी-132 परियोजना वार कुपोषित बच्चों की संख्या
परियोजना-कुपोषित बच्चों की संख्या
चितरंगी-738
चितरंगी-2-668
देवसर-1878
बैढऩ ग्रामीण-1328
बैढऩ ग्रामीण-2-637
बैढऩ शहरी-405