तीन साल पहले संस्था प्रधान ने कार्यभार संभाला और भामाशाह को प्रेरित कर कक्षा-कक्षों का निर्माण करवाया। वर्तमान में विद्यार्थियों के बैठने के लिए पर्याप्त कमरे की व्यवस्था है। 22 कमरे बैठने लायक हैं। नामांकन भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। वर्तमान में 512 नामांकन है। भामाशाह दलाराम लालाराम ने 2009 में 5 कक्षा-कक्ष का लगभग 33 लाख की लागत से निर्माण करवाया। इस साल भी लगभग 20 लाख रुपए से कमरे बनवाए हंै।
स्कूल के विद्यार्थी खेलकूद में अव्वल रहे हैं। पिछले साल दो खिलाडिय़ों का खो-खो में राज्य स्तर पर चयन हुआ था। वहीं चार खिलाडिय़ों का आदिवासी ओपन प्रतियोगिता में राज्य स्तर पर चयन हुआ है।
स्कूल परिसर में विद्यार्थियों के लिए हर जगह शिक्षाप्रद स्लोगन लिखे हुए हैं। संस्था प्रधान ने भामाशाहों को प्रेरित कर स्कूल परिसर में रंग-रोगन व वाटिका का निर्माण भी करवाया है ताकि विद्यार्थियों व शिक्षकों को शुद्ध पर्यावरण मिले।
उन्होंने बताया कि तीन कक्षा-कक्ष की छत की मरम्मत शिक्षा विभाग की ओर से करवाई गई। दो कमरे एसएसए, तीन कमरे, शौचालय, मूत्रालय (बालक-बालिका) भामाशाह दलाराम लालाराम नेे बनवाए। लालाराम चमनाराम माली ने 26,000 का कम्प्यूटर, मनीष कुमार अमृतलाल माली ने 14,500 का पिं्रटर, लक्ष्मण भीमाराम सुथार ने 51,000 का वॉटर कूलर भेंट किया। पुरीबाई पुनमाजी चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष रघुभाई माली ने 51,000 का आरओ, कल्पना कंवर पत्नी महेन्द्रसिंह राणावत ने 10,500 का म्यूजिक सिस्टम, पूर्व पार्षद मगन लाल ने खिलाडिय़ों के लिए ड्रेस, शकुंतला गौड़, कॉलेज व्याख्याता सीमा वाष्र्णेय ने एसआईक्यू शिक्षण सामग्री के लिए पांच-पांच हजार रुपए सहयोग किया। कमलेश बाड़मेरा ने स्वेटर व चप्पल वितरित की। चम्पतलाल ने विकास शुल्क के लिए पांच हजार रुपए, सुनील गहलोत ने 11 हजार की एसआईक्यूई बैंच, भंवरी देवी ने सात हजार रुपए का हारमोनियम और दिनेश ने 19,000 का इनवर्टर दिया।