यहां के विभिन्न उद्यानों में आदिवासी लोगों की ओर से पंचायतें लगाकर वर्ष भर में होने वाले सामाजिक विवादों का निस्तारण किया। पुराने विवादित रिश्तों का समाधान कर नए रिश्ते कायम किए। ईष्टदेव की पूजा-अर्चना कर भोग लगाया और प्रसादी वितरित कर मन्नत मांगी। कई युवक-युवतियों ने सामाजिक परंपरानुसार सगाई व विवाह रचाए।
मेले के दौरान आपसी सहमति पर परंपरानुसार कई युवक-युवतियां परिणय सूत्र में बंधे। विधिविधानपूर्व धार्मिक अनुष्ठान की रस्म पूरा करने के बाद परिजनों के समक्ष युवक-युवतियों के शादी में बंधने का सिलसिला चलता रहा।
मेले में भाग लेने को आए आदिवासियों की जीवनशैली हाईटेक नजर आई। जिसके चलते खाने, पीने, पहनने से लेकर रोजमर्रा के जीवन में उपयोग लाने वाली वस्तुओं का प्रचलन गत वर्षों की अपेक्षा इस बार अलग दिखाई दिया। जिसके तहत कई आदिवासियों ने नक्की झील स्थित नक्की लेक व्यापारिक संस्थान की ओर से लगाए गए सेवा स्टॉल में आचार-पूड़ी के खूब चटखारे लिए।
मेले को लेकर पुलिस प्रशासन भी अलर्ट रहा। पुलिस उप अधीक्षक प्रवीण कुमार, थाना प्रभारी अचलसिंह देवड़ा के नेतृत्व में नक्की चौराहा, नेहरू सर्किल, दादी प्रकाशमणि चौक पर पुलिस जाप्ता तैनात रहा। यातायात प्रभारी भंवरलाल मीणा, बलवंतसिंह, महेंद्रसिंह, प्रतापसिंह भाटी ने यातायात व्यवस्था को संभाला।
बसों की कमी की वजह से आवागमन करने वाले मेलार्थियों व पर्यटकों को परेशानी का सामना करना पड़ा। जिसके चलते वापसी घरों को जाने के लिए बसों के इंतजार में बस स्टैंड पर मेलार्थियों का जमावड़ा लगा रहा।