पत्रिका टीम ने जब कार्यवाहक प्रभारी डॉ शैतान कुमार से अस्पताल में तैनात चिकित्सकों के अवकाश के बारे में जानकारी चाही तो उन्होंने बताया कि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मनीषा कच्छवाह पिछले काफी दिनों से अवकाश पर है तथा वे वापस ड्यूटी पर कब लौटेंगी इसका कोई पता नहीं है। इसी प्रकार डॉ वीणा सोलंकी एक साल से अवकाश पर चल रही है उनके भी अस्पताल आने के बारे में कोई निश्चित तिथि नहीं है। अस्पताल के प्रभारी चिकित्सक डॉ गोपालसिंह 3 जून से अवकाश पर है। वे 13 जून को फिर से ड्यूटी पर आएंगे। इसी प्रकार बाल रोग विशेषज्ञ डॉ माणकचंद जैन 15 दिन की पीएल पर है। एक अन्य चिकित्सक डॉ पुष्पा मीना भी चार दिन के अवकाश पर गई हुई है।
अस्पताल की बिगड़ी व्यवस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मौसमी बीमारियों के प्रकोप के बावजूद सामान्य चिकित्सा मात्र एक चिकित्सक के भरोसे टिकी हुई है। किसी सरकारी कार्य अथवा कोर्ट पेशी होने पर उनके वहां चले जाने पर वह व्यवस्था भी ठप हो जाती है। उसके बाद अस्पताल में एक मात्र आयुष चिकित्सक ही रह जाते है जो केवल आयुर्वेद एवं युनानी चिकित्सा उपचार ही दे
सकते हैं।
अस्पताल में अव्यवस्था का आलम इस कदर है कि सरकारी आदेश पर गर्मी के दिनों में लू संबंधित बीमारियों के मरीजों की संख्या अधिक होने को देखते हुए लू, ताप घात वार्ड तो बना दिया गया है लेकिन चिकित्सकों के अभाव में लू ताप घात वार्ड में मरीजों का टोटा है। इतना ही नहीं प्रसुता वार्ड जहां उपखंड क्षेत्र के विभिन्न गांवों से प्रसूताओं को प्रसव के लिए लाया जाता था वार्ड में बामुश्किल कोई बेड खाली मिलता था। वहां चिकित्सक के अभाव में आज सारे पलंग खाली पड़े हैं।
एक कहावत है कि ‘धणियो वगर घर हुनाÓ ये आज इस अस्पताल पर सटीक साबित हो रही है। अस्पताल में मॉनिटरिंग के अभाव में सफाई व्यवस्था के हाल भी खराब है। एमओटी सहित अन्य स्थानों पर सफाई समय पर नहीं हो रही है। नर्सिग स्टाफ की संख्या तो पर्याप्त है। वे अपनी ड्यूटी पर समय पर भी आते हंै और छह घंटे की अपनी ड्यूटी भी पूरी कर रहे हंै, लेकिन कार्य के अभाव में वे भी अपना समय मोबाइल पर गेम खेलकर या फिर फेसबुक चला कर पूरा कर रहे हंै।