सिरोही

रील देखने और बनाने की आदत बच्चों का बिगाड़ रही बचपन

यदि बच्चा सोशल मीडिया का आदी हो गया है तो अचानक उसे डांटकर या उसमें कमी लाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। वह गुस्सा कर सकता है। यह लत छुड़वाने के लिए धीरे-धीरे प्रयास करने चाहिए।

सिरोहीApr 16, 2024 / 11:38 am

Santosh Trivedi

सिरोही. मोबाइल पर रील का चलन आज तेजी से बढ़ा है और बढ़ता जा रहा है। हर उम्र के लोग इन रील को घंटों तक बिना किसी से बात किए एक जगह पर बैठे देखते रहते है। यह लत खासकर बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो रही है। बच्चे पढ़ाई से दूर होते जा रहे है। उनका व्यवहार बदल रहा है। वे अपनी उम्र के बच्चों के साथ बाहर जाकर खेलना या साइकिल चलाना जैसी गतिविधियां भी नहीं करते हैं। ऐसे बच्चों को लेकर कई माता-पिता मनोरोग चिकित्सकों के पास पहुंच रहे है। इसमें भी बाधा यह है कि छोटे बच्चों की काउंसलिंग करना बेहद मुश्किल होता है। वे अपनी मस्ती में रहते है और चिकित्सक या माता-पिता की बात को अनसुना कर देते हैं।

इस तरह होती है पहचान…

सोशल मीडिया पर मोबाइल या टीवी आदि अन्य माध्यम से जुड़ने के बाद बच्चा अति उत्साहित होता है। वह अकेले रहना अधिक पसंद करने लगता है। बाहर जाने का कहने पर आनाकानी करता है। बच्चा कई बार काल्पनिक बातें भी करता है। उसका वजन बढऩे लगता है। नजर कमजोर हो जाती है। खाने-पीने में लापरवाही बरतता है। नींद कम लेता है। पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। ये ऐसे लक्षण है, जिससे बच्चों के सोशल मीडिया पर रील का आदी होने का पता लगता है।

यह है बच्चों के हालात…

शहर निवासी एक बच्ची कोविड काल में मोबाइल से अध्ययन करने लगी। वह पढऩे के साथ उस पर रील भी देखने लगी। उसकी स्थिति यह हो गई कि वह स्कूल शुरू होने के बाद भी तीन से चार घंटे तक रील देखती। स्कूल से आते ही मोबाइल की मांग करती। इसी तरह से एक ढाई साल का बच्चा, मोबाइल पर रील व अन्य सामग्री देखता है। उसकी स्थिति यह है कि वह मोबाइल पर रील देखे बिना खाना तक नहीं खाता है। नाश्ता करते समय भी माता-पिता को उसे मोबाइल देना पड़ता है। ऐसे एक-दो नहीं बल्कि कई बच्चे है जो मोबाइल पर रील देखने की आदत है और इसका नकारात्मक असर देखने को मिल रहा है।

माता-पिता बच्चों पर रखें नजर…

यदि बच्चा सोशल मीडिया का आदी हो गया है तो अचानक उसे डांटकर या उसमें कमी लाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। वह गुस्सा कर सकता है। यह लत छुड़वाने के लिए धीरे-धीरे प्रयास करने चाहिए। मोबाइल में टाइम लिमिट डाली जा सकती है। जिससे तय समय बाद मोबाइल बंद हो जाए, लेकिन इसका पता बच्चे को नहीं लगना चाहिए। कई बच्चे मोबाइल पर रील से कमाई करने के बारे में सोचते है। उनको इसके अच्छे व बुरे परिणाम के बारे में बताएं। अभिभावकों को बच्चों के साथ खेलने के साथ अन्य गतिविधियों में समय गुजारना चाहिए। बच्चों के सामने खुद भी मोबाइल का उपयोग सीमित करना चाहिए। वहीं बच्चों को कम से कम मोबाइल हाथ में दिया जाए। माता-पिता को बच्चों पर मॉनिटरिंग भी रखनी चाहिए, ताकि बच्चा अधिक समय के लिए मोबाइल नहीं देखे।
डॉ. जय प्रकाश कुमावत, मनोरोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल सिरोही

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