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राम रहीम के फैसले पर जींद के गांव राजपुरा का सीना गर्व से फूला

जज जगदीप सिंह लोहान ने जितना साहसिक और ऐतिहासिक सुनाया है, उस पर बाबा के भक्तों को छोडक़र जहां पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है

सिरसाAug 28, 2017 / 11:21 pm

शंकर शर्मा

jagdip and ramrahim

jagdip and ramrahim

चंडीगढ़। साध्वी यौन प्रकरण में राम रहीम को सजा सुनाने वाले सीबीआई जज जगदीप सिंह लोहान ने जितना साहसिक और ऐतिहासिक सुनाया है, उस पर बाबा के भक्तों को छोडक़र जहां पूरा देश गर्व महसूस कर रहा है, तो वहीं पर उनके पैतृक गांव राजपुरा का सीना गर्व से फूला हुआ है। राजपुरा भैण गांव के एक शिक्षक परिवार में जन्म लेने वाले सीबीआई जज जगदीप सिंह लोहान ने प्राथमिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से ग्रहण की। उनके सहपाठियों ने बताया कि वे पढऩे में काफी गंभीर और होशियार भी थे।


उस समय तख्ती पर लेख लिखते समय वे इतने गंभीर होते थे कि जब तक सुलेख साफ और सुंदर नहीं लिखा जाता, तब तक वह तख्ती पर लेख लिखते रहते थे। इतना ही नहीं उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा में भिवानी बोर्ड में तीसरा स्थान भी हासिल किया था।


सीबीआई जज नियुक्त होने के बावजूद भी जगदीप सिंह अपनी जन्म भूमि से बहुत लगाव रखते हैं और महीने- दो महीने में वे अपने गांव में अवश्य आते हैं। उनकी चाची ने बताया कि वे इतने सरल स्वभाव के हैं, कि अगर घर में सब्जी नहीं बनी होती तो वे चटनी से भी खाना खा लेते हैं और गांव के बुजुर्गों से नाते के अनुसार ही बात करते हैं। इस ऐतिहासिक फैसले के बाद गांव के युवाओं ने उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता तो जरूर जताई लेकिन साथ में ये भी कहा कि गांव में जज साहब की तरफ कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता क्योंकि पूरा गांव उनकी सुरक्षा के लिए जान की बाजी लगाने को तैयार है।


गांव की महिलाओं ने ये भी बताया कि जज जगदीप सिंह लोहान काफी शर्मीले हैं और कभी भी उनको जज होने का घमंड नहीं रहा। वे गांव में आकर कभी भी अपने पद का रोब नहीं दिखाते। सीबीआई जज जगदीप सिंह लोहान गांव में सामाजिक कार्य में भी काफी रूचि लेते हैं। हाल ही में उन्होंने जींद प्रशासन के साथ गांव में पौधारोपण किया था। गांव के सरकारी स्कूल में अपने पिताजी बलबीर सिंह की स्मृति में 2 पार्कों का भी निर्माण करवाया है।


गौरतलब है कि 16 सितम्बर 2016 को जज अपने गांव से पंचकूला जा रहे थे तो रास्ते में एक एक्सीडैंट में कई लोग घायल होकर सडक़ पर तड़प रहे थे तो उन्होंने एंबूलैंस को फोन किया। वहां से उनको जवाब मिला कि एंबूलैंस हवा में उडक़र तो आएगी नहीं। कुछ समय बाद एंबूलैंस भेज दी जाएगी लेकिन जगदीप सिंह ने एंबूलैंस का इंतजार नहीं करते हुए अपनी गाड़ी में घायलों को सरकारी अस्पताल में लेकर आए और उनका ईलाज करवाकर पंचकूला पहुंच गए थे। इतना बड़ा काम करने के बावजूद भी सीधे-साधे इस बहादुर जज ने मीडिया से दूरी बनाए रखी थी।


न्यायिक सेवा में आने से पहले जगदीप सिंह पंजाब और हरियाणा कोर्ट में वकील थे। वे साल 2000 और 2012 में कई सिविल और क्रिमिनल केस लड़ चुके हैं। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से 2000 में कानून की डिग्री पूरी की। जगदीप के परिवार से जुड़े लोग कहते हैं कि वे बचपन से ही प्रतिभावान रहे है। कॉलेज के समय बेहद प्रतिभाशाली छात्र रहे हैं। जगदीप सिंह को बहुत ही मेहनती और ईमानदार न्यायिक अधिकारी माना जाता है।

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