सीतापुर के खैराबाद इलाके की कैथाभारी गांव के निवासी श्रवण कुमार बीमारी से ग्रसित था । जिला अस्पताल में परिजनों के साथ इमरजेंसी वार्ड में दिखाने आए लेकिन डॉक्टरों ने अस्पताल में बेड ना होने की बात कहकर उन्हें वहां से बैरंग लौटा दिया। परेशान मरीज निजी अस्पताल के घंटों चक्कर लगाता रहा। उसके बाद वह दोबारा जिला अस्पताल पहुंचा जहां डॉक्टरों ने उसे देखा तो लेकिन बेड ना होने के चलते भर्ती नहीं किया और मरीज की अस्पताल के बाहर ही मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि हम मरीज को 11 बजे जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लाए थे। ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने बेड खाली न होने की बात कहकर हमारे मरीज को भर्ती करने से इंकार कर दिया और कुछ ही घंटों बाद अस्पताल के बाहर ही मरीज ने दम तोड़ दिया।
यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था कि इस हालत को देखकर यही लगता है कि धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर का रवैया मरीजों के प्रति अस्पतालों में कैसा रहता है। मरीज ने बेड न मिलने के चलते घंटो इधर उधर भाग दौड़ करने के बाद अस्पताल के बाहर दम तोड़ दिया। वहीं मृतक की पत्नी सुमन देवी ने अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि यदि समय रहते जिला अस्पताल में इलाज होता तो आज उसकी जिंदगी बर्बाद न होती। वहीं अस्पताल प्रशासन ने जिला अस्पताल की किसी भी प्रकार की लापरवाही से इंकार किया है।