चालक का आरोप हैं कि जिला उद्योग केंद्र में महाप्रबंधक के वाहन चलाने के लिए उसे 22 अगस्त 2008 को अस्थाई रूप से कार्यालय में वाहन चालक के रूप में रखा गया था। चालक का आरोप हैं कि उसे पिछले कुछ माह पहले सेवा से बाहर कर दिया गया और दैनिक वेतन भी उसे नही दिया गया। चालक कैलाश कुमार का कहना हैं कि उसने अपनी मांगों को लेकर उद्योग केंद्र कार्यालय के महाप्रबंधक समेत उच्चधिकारियों से गुहार लगायी लेकिन उनकी फरियाद किसी ने नही सुनी। लिहाजा चालक कैलाश ने दर-दर की ठोकरे खाने के बाद पिछले 4 माह यानी 20 अगस्त से दो मासूम बच्चों के कलेक्ट्रेट स्थित धरना स्थल पर अपनी मांगों को लेकर धरने पर बैठा हुआ हैं और उसने अपनी मांगों को लेकर आईजीआरएस समेत सिटी मजिस्ट्रेट और जिलाधिकारी से भी न्याय की गुहार लगायी हैं किंतु पिछले 4 माह से उसकी फरियाद सुनने वाला कोई नही हैं और वह इस कड़ाके की ठंड में अपनी मांगों को लेकर खुले आसमान में बैठा हुआ हैं।