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सीतापुर

…तो इसलिए हमको महंगी मिल रही है चीनी, कारण जान हो जाएंगे हैरान!

चीनी के बाजार में इन दिनों चल रही उथल पुथल ने ग्राहकों को खासा परेशान कर रखा है

सीतापुरApr 15, 2016 / 01:35 pm

Ruchi Sharma

सीतापुर.चीनी के बाजार में इन दिनों चल रही उथल पुथल ने ग्राहकों को खासा परेशान कर रखा है। वहीं बढ़ते दामों के पीछे की हकीकत पर गौर करें तो कई ऐसे राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय कारण हैं जिनकी वजह से चीनी का बाजार भाव एक बार फिर उठते पायदान पर है। हालांकि खास बात यह है कि चीनी मिलों ने कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं की है। बावजूद इसके बाजार का भाव लगातार बढ़ता जा रहा है। जानकारों की माने, पैदावार तो कम हुई लेकिन एक्सपोर्ट में कमी नहीं की गयी ताकि विश्व पटल पर भारत चीनी के बाजार में अहम स्थान बरकरार रख सके।

दरअसल चीनी के मूल्यों में धीरे-धीरे हो रही वृद्धि पर पत्रिका ने कुछ चीनी मिलों के अधिकारियों से बात की तो काफी हैरान करने वाले तथ्य सामने आये। हालांकि किसी ने बताई गयी बातों पर आधिकारिक बयान तो नहीं जारी किया लेकिन ग्राहकों की बेचैनी को समझने के लिए पत्रिका की इस पड़ताल ने काफी कुछ हासिल कर लिया। पत्रिका की पड़ताल में सामने आया कि पिछले वर्षों में देश में गन्ने की पैदावार काफी अच्छी थी जो इस वर्ष पहले के मुकाबले कम हो गयी। बावजूद इसके भारत ने इस साल भी करीब 40 लाख क्विंटल चीनी को विदेशों में एक्सपोर्ट किया। चीनी मिलों के सूत्र बताते हैं कि यह एक्सपोर्ट भी नुकसान पर किया गया ताकि विदेशों के बाजार में भारत की चीनी की धाक बनी रहे। सूत्र यह भी बताते हैं कि तकरीबन 10 प्रतिशत गन्ने की पैदावार इस वर्ष कम हुई थी। बावजूद इसके मिलों को प्रति बोरी पर 200 रुपये का मुनाफा हो रहा है।

पहले की तुलना में क्यों कम हुआ उत्पादन

लगातार किसानों पर पड़ रही चीनी मिलों की मार और अन्य फलों की खेती में प्रति हेक्टेयर अधिक मुनाफे की वजह से लोगों का रुझान गन्ने की खेती में कम हो गया है। चीनी मिलों से भुगतान मिलने में किसानों को काफी मुसीबत हर साल आती है और शासन स्तर से भी कोई खास बढ़ोत्तरी गन्ने में नहीं की जा रही। वहीं अन्य फलों जैसे केले और खरबूजे सहित कई और सब्जियों की खेती लोगों को अधिक कमाई का रास्ता दिखा चुकी है। साथ ही इसमें भुगतान मिलने में भी कोई खास दिक्कत नहीं होती है।

जब पैदावार हुई कम तो क्यों किया गया इतना एक्सपोर्ट? 

चीनी उद्योग में आई पिछले वर्षों में मंदी ने कई बड़े उद्योग घरानों को इस व्यापार से किनारा करने पर मजबूर कर दिया। एक जानकारी के मुताबिक बिड़ला, बजाज और कई अन्य उद्योगपतियों ने अपनी कुछ मिलों को इसी मंदी के कारण बंद कर दिया। वहीं सरकार पर भी इसका खासा दबाव लगातार देखने को मिला और सरकार ने अधिक एक्सपोर्ट कर मिल मालिकों को इस वर्ष अधिक मुनाफा लेने का रास्ता साख कर दिया।

उत्तर प्रदेश सरकार ने भी दिए कई मौके

उत्तर प्रदेश में भी पिछले वर्षों में कई ऐसे मौके आये जब चीनी मिलों के मालिकों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए या तो मिल ही चलाना बंद कर दिया या फिर किसानों का भुगतान ही अधर में डाल दिया। लिहाजा किसानों और विपक्ष के दबाव ने सरकार को मजबूर किया और सरकार ने अनुदान देकर मिलों को आगे काम करने का मौका दिया।

क्या कहते हैं मिल प्रबंधक

चीनी के मूल्यों में बढ़ोत्तरी को लेकर पत्रिका ने इस पड़ताल में सीतापुर की हरगांव स्थित शुगर मिल के प्रबन्धक डी के शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि चीनी का मूल्य बढ़ा नहीं है पैदावार कम होने के कारण चीनी अपने पुराने रेट पर आ गयी है। चीनी उद्योग में पिछले वर्षों में मंदी रही जो अब नहीं है। श्री शर्मा ने बताया कि देश चीनी का उत्पादन कम हो रहा है यह भी एक वजह है। उन्होंने बताया कि आज का भाव 3350 रुपये प्रति बोरी है और उसपर 200 प्रति बोरी एक्साइज ड्यूटी है। ऐसे में प्रति बोरी 3550 रुपये की दुकानदारों को पड़ रही है।
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