84 कोसी परिक्रमा में पहला पड़ाव सीतापुर की मिश्रिख तहसील के अंतर्गत एक गांव, जिसका नाम कोरोना है। यह गांव धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। होली के पंद्रह दिन पहले 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य से शुरू होने वाली 84 कोसीय परिक्रमा का पहला पड़ाव यही कोरोना गांव है। इस गांव की आबादी महज 8 हजार है। ब्राह्मण और यादव बहुल इस गांव के लोग खेती पर निर्भर हैं। यहां पर द्वारकाधीश का प्राचीन मंदिर भी है। जिसमें परिक्रमा के समय लाखों श्रद्धालु दर्शन पूजन करते हैं और प्रतिवर्ष यहां पर आस्था का जनसैलाब उमड़ता है। यह गांव धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से काफी समृद्ध है। सतयुग कालीन 84 कोसीय परिक्रमा का पहला पड़ाव होने के कारण इस गांव की काफी मान्यता है, लेकिन इन दिनों यह गांव अपने नामकरण के कारण अभिशप्त सा हो गया है। यहां के लोंगो को गांव के नाम के कारण तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
गांव के नाम से लोगों में दहशत इन दिनों विश्वव्यापी महामारी से गांव के नाम की समानता होने के कारण खासी चर्चा का केन्द्र बने कोरोना गांव के लोंगो ने बताया कि कोरोना की तरह वे लोग भी छुआछूत का शिकार हो गए हैं। जिसको भी फोन करके यह बताते हैं कि हम कोरोना से बोल रहे हैं। वह नाम बताने के पहले ही या तो फोन काट देता है या फिर उसे मजाक समझता है। रास्ते में भी आते जाते समय पुलिस को कोरोना का निवासी बताते ही वे इसका गलत अर्थ समझकर अभद्रता भी करने लगते हैं। कुल मिलाकर कोरोना की महामारी फैलने के कारण कोरोना गांव भले ही सुर्खियों और चर्चा में आ गया हो, लेकिन यहां के लोंगों को इस समय काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।