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सोनभद्र

प्रदूषण के खिलाफ लोगों को फूटा गुस्सा, अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को दी चेतावनी 

प्रदूषण के कारण  300 से ज्यादा गांव प्रभावित, बढ़ रहा है लोगों का गुस्सा 

सोनभद्रDec 09, 2016 / 01:07 pm

अखिलेश त्रिपाठी

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सोनभद्र. ऊर्जा का हब कहे जाने वाले उर्जान्चल यानि सोनभद्र के दक्षिणी हिस्से के सैकड़ों गांवों के जनप्रतिनिधियों समेत ग्रामीणों ने ,कोयला खादानों ,कल कारखानोंऔर बिजलीघरों के प्रदूषण से अजीज आकर जिले के जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंप उन्हें चेतावनी दी कि अगर समय रहते बढ़ते प्रदूषण पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी तो समूचा इलाका विकलांग हो जायेगा। सोनभद्र का दक्षिणाचल क्षेत्र सिंगरौली औद्योगिक क्षेत्र का हिस्सा है जो देश की कुल उत्पादित बिजली का दसवां हिस्सा पैदा करने वाले बिजलीघरों का क्षेत्र है और यह इलाका देश के अतिप्रदूषित इलाकों में तीसरे स्थान पर आता है। प्रदूषण के कारण यहां के 300 से ज्यादा गांव प्रभावित हैं और यहाँ मनुष्य समेत पेड़ पौधों , जीव जन्तुओं और पर्यावरण पर गम्भीर संकट है। 

इलाके में तेजी से स्थापित हो रही औद्योगिक इकाइयों और उनसे निकलने वाले प्रदूषण पर रोकथाम के लिये मार्च 2014 में राष्ट्रिय हरित प्राधिकरण में एक याचिका दाखिल की थी जिसकी सुनवाई में माननीय न्यायालय ने इलाके में स्थित किसी भी जल स्रोत ,नदी नाले, जलाश्य या खुले में औद्योगिक उत्सर्जन प्रवाहित किये जाने पर प्रतिदिन 5000 रुपये जुर्माने के साथ कार्यवाही करने के साथ इलाके के लोगो को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद इलाके के प्रदूषण के पर्यावरणीय प्रभाव आंकलन व उसके नियंत्रण के लिए सुझाव देने के लिए राष्ट्रीय पर्यावरण वैज्ञानिकों की समिति का गठन किया जिसने जुलाई 2015 में अपनी रिपोर्ट प्रतुत की। कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार इस इलाके में यहां सिर्फ कोयले के जलने से 40 किलो पारा ,1496 किलो सीशा ,9369 किलो फ्लोराइड, व 8000 किलो क्रोमियम जैसे अति खतरनाक तत्व प्रतिदिन हवा में छोड़ा जाता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पारे ,शीशे व फ्लोराइड के प्रभाव से इलाके में पागलपन ,उन्माद ,गर्भपात , विकलांगता , असमय बुढ़ापा , चार्म रोग जैसी लाइलाज बीमारियों के शिकार होने के साथ ही लोग मौत के शिकार भी हो रहे है।

इस रिपोर्ट के बाद जिले के तत्कालीन जिलाधिकारी ने एक शपथ पत्र दाखिल कर माननीय न्यायालय को आश्वासन दिया था कि इलाके में अवस्थित औद्योगिक इकाइयां प्रददूषण नियंत्रण के उपायों का कड़ाई से अनुपालन करेंगी और प्रभावित गांवों में लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर दवाइयां दी जायेंगी। लेकिन वास्तव में न तो औद्योगिक इकाइयों द्वारा किसी नियम का पालन किए जा रहा है और न ही किसी गांव में दवा वितरित की जा रही है।

 माननीय न्यायालय के निर्देश के ढाई साल बाद भी समूचे इलाकों में चिह्नित स्थानों पर न तो शुद्ध पेय जल की व्यवस्था की गयी और न ही किसी औद्योगिक इकाई को जल स्रोतों में प्रदूषित औद्योगिक उत्सर्जन प्रवाहित किये जाने के लिए दण्डित किया गया। इलाके में दिनों दिन तेजी से बढ़ते जा रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए जननिधि आधारित जन संगठन ” सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी” पिछले एक साल से इस मुद्दे पर लोगों को जागरूक करने व जनप्रतिनिधियो और अधिकारियों का ध्यान इस और आकृष्ट कराने के लिये जनजागरूकता अभियान ,आंदोलन और प्रदर्शन करने का काम कर रही है। लोगों के जीवन की सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण के अपने अभियान के क्रम में वाहिनी ने दीपावली में 54 गांवो में प्रदूषण के कारण दीपावली न मनाने का अभियान चलाकर लोगो को अपने साथ जोड़ने का काम किया था। 

वाहिनी के इस अभियान से प्रभावित होकर तमाम गांवों के जिला पंचायत सदस्य ,ग्राम प्रधान, बीडीसी सदस्यों और ग्रामीणों ने जिलाधिकारी के झूठे आश्वासन पर नाराजगी जताते हुए उनके कार्यालय पर प्रदर्शन किया और उन्हें ज्ञापन सौंप इलाके में बढ़ते प्रदुषण की रोकथाम पर दिए गए शपथ पत्र की याद दिलाई। 

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