दरअसल, ग्रामीणों का कहना है कि हम लोग इस जमीन पर मुकदमा दायर किये हैं और केस लड़ रहे है। लगभग 10 सालों से जमीन पड़ी है पर देवानंद पाठक अचानक सीलिंग की जमीन पर अपना कब्जा बता रहे हैं जबकि ये जमीन सीलिंग में है। उम्भा गांव की घटना के बाद से इस तरह की घटनाएं बढ़ने के मद्देनजर जिला प्रशासन भी सचेत है जैसे ही इस घटना की सूचना जिला प्रशासन को लगी तत्काल भारी फोर्स के साथ मौके पर आला अधिकारियों के पहुंचने के बाद ग्रामीणों मढाहा ने वापस हटाने को राजी हुए पर संघर्ष की स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन ने अपनी पैनी नजर बनाए हुए है।
वहीं ग्राम प्रधान का कहना है इस घटना से मेरा कोई लेना देना नहीं है पर जबरदस्ती घोरावल पुलिस हमें उठा ले गई। मेरे खिलाफ भी मुकदमा दर्ज कर दी जबकि ग्रामीण अपनी स्वेच्छा से जाकर वहां पर झोपड़ी लगाए थे। 74 बीघा जमीन पर मुकदमा चल रहा है और हाईकोर्ट ने स्टे ऑर्डर इस पर दे रखा है यह जमीन सीलिंग की है पर पाठक जी इस जमीन को अपना बता रहे हैं। जबकि 10 वर्षों से इस जमीन पर कोई खेती नहीं हो रही थी मेरे पास इस जमीन के कागजात हैं यह जमीन राज्य सरकार की है।
वहीं देवानंद पाठक ने बताया कि इस जमीन पर मेरा कब्जा है और यह जमीन मेरे माता जी के नाम से खतौनी में दर्ज है। मेरे माता जी के मरने के बाद इस जमीन का मालिकाना हक हम दो भाइयों के पास है पर ग्रामीणों ने अचानक इस पर मुकदमा दायर कर दिया। पहले हम इस जमीन का मामला हाई कोर्ट में लड़ रहे हैं हाई कोर्ट ने मेरे पक्ष में फैसला देते हुए यथा स्थिति बरकरार रखने का ऑर्डर दिया है।