लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं का कहना है कि मौजूदा सांसद रमेश कौशिक दूसरी बार इस सीट से प्रत्याशी है लेकिन मतदाताओं को बताने के लिए उनके खाते में कोई खास कामकाज नहीं है। इसलिए कांग्रेस के दिग्गज के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ही प्रत्याशी के रूप में खडे है। हुड्डा का खास प्रभाव होने का कारण यह है कि हुड्डा ने वर्ष 2004 से 2014 तक लगातार दस वर्ष प्रदेश के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए देशवाली बैल्ट में खासा विकास किया है। सोनीपत भी रोहतक, झज्जर जिलों के साथ देशवाली बैल्ट में आते है। भाजपा को इस बात का अहसास है कि सोनीपत में हुड्डा के मुकाबले बडी ताकत की जरूरत है। इसलिए भाजपा नेता बजाय हुड्डा के मुख्यमंत्री काल के कथित घपले-घोटालों की चर्चा करने के बजाय मोदी के नाम पर वोट मांग रहे है।
भाजपा का प्रयास मतदाताओं को जाट और गैर जाट में विभाजित करने का भी है। इसलिए फरवरी 2016 के जाट रिजर्वेशन आंदोलन के दौरान हुई हिंसा के पीछे भूपेन्द्र हुड्डा की कथित भूमिका का जिक्र भी भाजपा नेता कर रहे है। भाजपा को जननायक जनता पार्टी-आम आदमी पार्टी गठबंधन के प्रत्याशी दिग्विजय सिंह चौटाला द्वारा जाट वोटों का बटावारा किए जाने की उम्मीद भी हैं। दिग्विजय सिंह चौटाला द्वारा जाट वोटों का बटवारा करने से हुड्डा को नुकसान होगा और भाजपा को लाभ मिलेगा। भाजपा कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी में भी अपना फायदा देख रही है। कांग्रेस हुड्डा के प्रभाव के साथ राज्य सरकार के विरूद्ध रोष का फायदा लेने की कोशिश कर रही है।