दुष्यंत,रणजीत, गुज्जर व पार्टी प्रभारी ने किया सीएम का समर्थन।
हरियाणा सीआईडी विवाद।
सोनीपत•Jan 22, 2020 / 05:50 pm•
satyendra porwal
सीएम को मिला सत्ता व संगठन का साथ, अलग-थलग पड़े विज
चंडीगढ़. हरियाणा में सीआईडी को लेकर छिड़े विवाद में अब धीरे-धीरे मुख्यमंत्री मनोहर लाल का पलड़ा भारी हो रहा है और गृहमंत्री अनिल विज अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। सीएम मनोहर लाल को इस मुद्दे पर धीरे-धीरे समर्थन मिलता जा रहा है। एक तरफ जहां सीआईडी पर सीएम के कब्जे को लेकर सीएमओ में ड्राफ्ट कानून तैयार किए जाने की खबरें आ रही हैं, वहीं फील्ड में भी धीरे-धीरे माहौल मुख्यमंत्री मनोहरलाल के समर्थन में बन रहा है।
सीआईडी किसके अधिकार क्षेत्र में होगी यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन हरियाणा के बिजली एवं जेल मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने बुधवार को विधानसभा परिसर में पत्रकारों से बातचीत में साफ कर दिया कि उन्होंने बंसीलाल, देवीलाल व ओमप्रकाश चौटाला की सरकारों का कार्यकाल बेहद करीब से देखा है। अभी तक हरियाणा का इतिहास रहा है कि सीआईडी मुख्यमंत्री के अधीन ही रही है और सीएम को रिपोर्ट करती रही है।
इससे पहले मंगलवार को चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने भी इस मामले में मुख्यमंत्री का समर्थन करते हुए कह चुके हैं कि इस मामले में कोई विवाद नहीं अभी तक सीआईडी की रिपोर्टिंग सीएम को ही होती रही है। हरियाणा के दो मंत्रियों के अलावा केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुज्जर तथा हरियाणा भाजपा के प्रभारी डॉ.अनिल जैन भी इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का समर्थन कर चुके हैं। जिस तरह से हरियाणा के मंत्री और भाजपा के नेता सीआईडी विवाद पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल समर्थन कर रहे हैं उससे साफ हो रहा है कि आने वाले दिनों में जहां सरकार सीआईडी को लेकर बड़ा फैसला कर सकती है वहीं उससे पहले मुख्यमंत्री मनोहर लाल के समर्थन में जमीन तैयार की जा रही है, ताकि सीआईडी के संबंध में किसी तरह के फैसले का मंत्रीमंडल स्तर पर विरोध न हो।
जल्द दूर होंगी तकनीकी दिक्कतें: सीएम
एक तरफ जहां गृहमंत्री अनिल विज द्वारा गृह सचिव विजयवर्धन को सीआईडी चीफ को चार्जशीट करने के निर्देश जारी किए जा चुके हैं वहीं इन चार्जशीट में कई तरह की तकनीकी दिक्कतें हैं। इस बारे में जब बुधवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मीडिया ने बातचीत की तो उन्होंने कहा कि सीआईडी प्रकरण में शुरू से ही कई तरह की तकनीकी दिक्कतें हैं। जिनमें से कई दूर हो चुकी हैं और कुछ जल्द ही दूर कर ली जाएंगी।