सीबीआई ने अप्रेल 2017 में इस मामले में मुकदमा दर्ज किया था। हरियाणा के पंचकूला के सेक्टर 6 में 3360 वर्ग मीटर का यह प्लॉट मूलतः 1982 में एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड को आवंटित किया गया था। इसके बाद 1996 में जब हरियाणा विकास पार्टी के नेता चौधरी बंशीलाल के नेतृत्व वाली सरकार थी तब आवंटन की शर्त के अनुसार प्लॉट पर निर्माण शुरू न कर पाने की हालत में आवंटन रद्य कर दिया गया था। लेकिन चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस के सत्तारूढ होने के छह माह बाद ही वर्ष 2005 में इस प्लॉट का पुनः आवंटन एसोसिएटेड जर्नल लिमिटेड को कर दिया गया था। यह पुनः आवंटन भी 1982 के दरों पर ही कर दिया गया।
सर्तकता ब्यूरो ने हुड्डा से नहीं की थी पूछताछ
प्लॉट पुनः आवंटन में घोटाले की जांच पहले हरियाणा के सतर्कता ब्यूरो को सौंपी गई थी। लेकिन मई 2016 में जब ब्यूरो ने कोई घोटाला न मानते हुए आवंटन से जुडे तीन अधिकारियों को क्लीन चिट दे दी तो राज्य की मौजूदा भाजपा सरकार ने जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया था। ब्यूरो ने जांच के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से पूछताछ भी नहीं की थी। ब्यूरो के अधिकारियों की दलील थी कि उन्हें इस मामले में पूछताछ करने के लिए कोई आधार नहीं नजर आया।
इस मामले में भूपेन्द्र सिंह हुड्डा से पूछताछ करने की जरूरत का कारण यह था कि प्लॉट का पुनः आवंटन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण ने किया था और मुख्यमंत्री होने से भूपेन्द्र हुड्डा पदेन प्राधिकरण के अध्यक्ष थे।
प्लॉट के पुनः आवंटन से तीन आईएएस अधिकारी शकुन्तला जाखू,एसएस ढिल्लो और विनीत गर्ग जुडे थे। हुड्डा ने अधिकारियों की आपत्तियों को दरकिनार कर प्लॉट का पुनः आवंटन किया था। अधिकारियों ने सतर्कता ब्यूरो को दर्ज कराए अपने बयान में कहा था कि उन्होंने फाइल पर वर्ष 1982 की दरों पर प्लॉट के पुनः आवंटन का विरोध किया था लेकिन हुड्डा ने आपत्ति को दरकिनार कर पुनः आवंटन कर दिया था।
हुड्डा ने बताया राजनीति से प्रेरित कदम
उधर राज्यपाल द्वारा चार्जशीट पेश किए जाने को भूपेन्द्र हुड्डा ने राजनीति प्रेरित फैसला बताया और कहा कि प्लॉट के पुनः आवंटन का फैसला एक व्यक्ति ने नहीं बल्कि प्राधिकरण ने किया था।