प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टीएस ठाकुर ने कहा कि ईमानदारी पर केवल न्यायाधीशों का एकाधिकार नहीं है। न्यायपालिका यह नहीं कहती है कि न्यायाधीशों को छोड़कर पूरी व्यवस्था संदिग्ध है।
मानदारी पर केवल न्यायाधीशों का एकाधिकार नहीं
वैश्वीकरण के युग में पंचाट (पंच-निर्णय) विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन संबोधन में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह किसी अंतर्विरोध और भय के बिना यह कह सकते हैं कि ईमानदारी पर केवल न्यायाधीशों का एकाधिकार नहीं है। हमें यह नहीं कहना चाहिए कि पूरी व्यवस्था में केवल न्यायाधीश ईमानदार हैं और शेष हर कोई संदिग्ध है।
पंचाटों को निष्कलंक और ईमानदार होना चाहिए
न्यायाधीश ठाकुर ने कहा कि पंचाटों को निष्कलंक और ईमानदार होना चाहिए ताकि संबंधित पक्षों के दिमाग में सुनाए जा रहे निर्णय के बारे में संदेह न हो। उन्होंने जब ज्यूडिशियल पंचाट और नॉन ज्यूडिशियल पंचाट की तुलना की जाती है, तो हम यह कह सकते हैं कि ज्यूडिशियल पंचाट ज्यादा विश्वसनीय होते हैं।
असहिष्णुता मुद्दे पर दिया गया बयान
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने असहिष्णुता मुद्दे पर बयान दिया था। उन्होंने कहा था- असहिष्णुता एक ‘राजनीतिक मुद्दा’ है और जब तक न्यायपालिका ‘स्वतंत्र’ है और विधि का शासन है, तब तक डरने की जरूरत नहीं है। ‘मैं ऐसे संस्थान का नेतृत्व कर रहा हूं जो विधि के शासन को कायम रखता है और हर नागरिक के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।
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