scriptखेल जिन्दगी का हिस्सा, बच्चों को खेलने के लिए करें प्रेरित | 19th Asian Games manini kaushik interview | Patrika News
खास खबर

खेल जिन्दगी का हिस्सा, बच्चों को खेलने के लिए करें प्रेरित

युवा शक्ति की सोच को अखबार में उतारने के लिए राजस्थान पत्रिका की पहल संडे यूथ गेस्ट एडिटर के तहत आज की गेस्ट एडिटर मानिनी कौशिक हैं। जयपुर निवासी मानिनी एक शूटर हैं, आपने बीते साल चीन में हुए एशियाई खेलों में शूटिंग में रजत पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया है। वहीं वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में आपने शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता है। आपका मानना है कि माता-पिता को अपने बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाना चाहिए।

Jan 27, 2024 / 11:21 am

Jaya Sharma

manini_1.jpg
मानिनी कौशिक, संडे गेस्ट एडिटर
जयपुर. पैरेंट्स ने हमेशा से ही खेलों में आगे रखा। मैं शुरू से ही पढ़ाई और खेल में अच्छी थी। पापा की भी खेलों में रुचि थी। जब मैं १४ साल की थी, तब टै्रवलिंग के दौरान मैंने पहली बार बलून शूट किया था। वहां मैंने अच्छा स्कोर किया। पापा ने मुझे जयपुर में शूटिंग एकेडमी ज्वॉइन करवाई, वहां भी कोच इम्प्रेस हुए। फिर मैं प्रेक्टिस करने लग गई। दो साल के अंदर २०१६ में नेशनल तक पहुंची और फिर इंटरनेशनल लेवल पर पहचान बनाई।
मेरी सफलता के पीछे मम्मी की तपस्या
वर्तमान में मैं दिल्ली से ट्रेनिंग ले रही हूं, मेरे साथ मम्मी रहती हंै। मम्मी का पूरा दिन सिर्फ मेरे लिए है, मुझे क्या खाना है, मेरी प्रेक्टिस और एक्सरसाइज सभी कुछ मम्मी ध्यान रखती हैं। मेरे साथ ट्रेनिंग पर भी जाती हैं। उन्हीं की बदौलत मैं अपने खेल पर फोकस कर पा रही हूं। आगे ओलम्पिक्स में चयन की तैयारी है। मुझे लगता है कि चुनौतियां हर क्षेत्र में हैं। हमें उनसे सीखकर आगे बढ़ना चाहिए। मुझे हर मैच से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। माता-पिता को अपने बच्चों पर खुद की इच्छाएं नहीं थोपनी चाहिए, बल्कि बच्चों के मन की सुननी चाहिए। बच्चों की प्रतिभाओं को पहचान कर उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए, तभी वे छोटी उम्र से सही और अपनी पसंद का रास्ता चुन पाते हैं।

गांव की बेटी ने विदेशों में रोशन किया देश का नाम
जयपुर. श्रीगंगानगर के शिवपुर फतोही के कृषक परिवार की अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल खिलाड़ी आरती ने न सिर्फ अपने गांव का नाम रोशन किया है, बल्कि यह भी साबित कर दिया है कि यदि मन में कुछ करने की ख्वाहिश हो, तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। आरती कहती हैं कि गांव में शहर की तुलना में अलग ही माहौल होता है। वहां खेल को उतनी तवज्जो नहीं दी जाती, जितनी शहर में। बचपन में जब मैं गांव में लड़कों को खेलते देखती तो मन में आता कि मैं भी खेलूं। लेकिन मन में संकोच था। एक दिन मैंने हिम्मत जुटा पापा से कहा, उन्होंने मुझे आगे बढ़ाया।

jaipur_2.jpg
मम्मी के बाद पापा ने संभाला:
बकौल, आरती मम्मी का 2013 में निधन हो गया। उनके जाने के बाद मेरे दादा और पापा ने मुझे संभाला। 2016 में मैं पहली बार जयपुर आई और सवाई मानसिंह स्टेडियम स्थित हैंडबॉल एकेडमी में दाखिला लिया। उसके बाद मेरी कोच मनीषा मैडम और प्रियदीप सर ने हमें घर जैसे संभाला। 2020 में पापा का निधन हो गया। आज मैं उनका सपना पूरा कर रही हूं। इंडियन टीम में भी खेलने का मौका मिला है।
आरती ने बताया,’मैंने सबसे पहले कजाकिस्तान में हुए यूथ एशियन कप में भाग लिया। उसके बाद नॉर्थ मैसाडोनिया में आयोजित यूथ वर्ल्ड चैंपियनशिप में भाग लिया और अभी हाल ही बांग्लादेश में आयोजित जूनियर आईएचएफ टूर्नामेंट में टीम इंडिया की ओर से खेली और स्वर्ण पदक जीता। इस टूर्नामेंट में हमारी टीम ने सभी टीमों के खिलाफ शानदार प्रदर्शन किया। खिताबी मैच में भी हम विपक्षी पर टीम पर भारी पड़े और भारत ने स्वर्ण पदक जीता।Ó
आरती प्रतिभावान खिलाड़ी: आरती की कोच मनीषा सिंह ने बताया कि जब आरती पहली बार एसएमएस आई थी तब ही मुझे लगा था कि यह लड़की दृढ़ निश्चयी है। मेहनत और लगन ही आरती की सफलता का राज है और मुझे पूरा भरोसा है कि भविष्य में भी यह भारत का नाम रोशन करेगी। वहीं वरिष्ठ कोच प्रियदीप खंगारोत के अनुसार आरती अब तक तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता खेल चुकी है। आज भी उसका अभ्यास नए खिलाड़ी की तरह ही है।

मां ने दी हिम्मत, एक हाथ से सीखी तैराकी, जीते पदक
जोधपुर. कहते हैं कि यदि माता-पिता का साथ मिले तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। ऐसे में जब महज 6 साल की उम्र में एक हाथ खोने के बाद जीवन में आगे बढ़ना पड़े तो माता-पिता के सपोर्ट की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। ऐसा ही कुछ जोधपुर की 14 वर्षीय जिया गमनानी के साथ हुआ है। उनकी मां ने अपनी बेटी की पीड़ा को देखकर न खुद को टूटने दिया और न ही अपनी बेटी को। बेटी को एक हाथ से तैराकी सिखाई। आज जिया तैराकी में स्वर्ण पदक जीत रही हैं।

jiya_1.jpg
एक्सरसाइज के लिए सीखी थी तैराकी
15 दिसंबर 2015 को स्कूल बस पलटने से जिया का दायां हाथ कटकर अलग हो गया था। फिजियोथैरेपिस्ट ने कंधे की एक्सरसाइज के लिए स्वीमिंग की सलाह दी। जिया स्टेट लेवल पैरा स्पोर्ट्स स्वीमिंग में 200, 400 व 800 मीटर रेस में दो रजत व एक कांस्य पदक और पैरा नेशनल स्पोर्ट्स स्वीमिंग में तीन स्वर्ण पदक जीत चुकी हंै।

Hindi News/ Special / खेल जिन्दगी का हिस्सा, बच्चों को खेलने के लिए करें प्रेरित

ट्रेंडिंग वीडियो