रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि दुनिया के 2153 अरबपतियों के पास 460 करोड़ (4.6 बिलियन) लोगों से अधिक संपत्ति है। इतना ही नहीं आर्थिक असामनता को यूं भी समझ सकते हैं कि दुनिया के 22 सबसे अमीर पुरुषों के पास अफ्रीका की32.6 करोड़ महिलाओं की तुलना में अधिक संपत्ति है। संयुक्त राष्ट्र (UNITED NATIONS) के अनुसार वर्तमान में 20 या उससे अधिक आयु के 32.6 करोड़ (326 मिलियन) लोग हैं। लेकिन दुनिया के 1 फीसदी सबसे अमीर धनकुबेरों (ultra rich) के पास 690 करोड़ (6.9 बिलियन) लोगों की तुलना में दोगुना से अधिक संपत्ति है। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं द्वारा किए जाने वाले देखभाल जैसे अवैतनिक कार्य का मूल्य सालाना 151 अरब रुपए (10.8 ट्रिलियन डॉलर) है। वहीं पिछले एक दशक में अरबपतियों की संख्या भी दोगुनी हो गई है।
63 पन्नों की इस रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि दुनिया भर के देशों में सरकारें गरीबों और अमीरों के बीच के इस आर्थिक अंतर को दूर करने में विफल हो रहे हैं। क्योंकि उनकी बनाईं ज्यादातर आर्थिक नीतियां पुरुषों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं जो उन्हें व्यापार और सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे व्यक्ति पर हावी होने में मदद करती हैं। रिपोर्ट का तर्क है कि आर्थिक असमानताए को gender असमानता से प्रेरित हो बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं सस्ता और फ्री श्रम उपलब्ध करवाकर अर्थव्यवस्था में सहयोग कर रही हैं। लेकिन पुरुष प्रधान आर्थिक नीतियां एक gender आधारित आर्थिक प्रणाली को बढ़ावा दे रहा है जो लेता तो करोड़ों से है लेकिन देता सिर्फ सैकड़ों की जेब में ही पैसा डालता है। यह रिपोर्ट अमरीका में बढ़ती बहस के बीच इस बात पर भी रोशनी ढालती है कि क्या अरबपति समाज के लिए अच्छे हैं या बुरे?