scriptसालाना 151 अरब रूपये जितना काम बिना वेतन के करती हैं 15 साल से छोटी लडकियां | 22 billionaires own more wealth than Africa's 326 million women | Patrika News
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सालाना 151 अरब रूपये जितना काम बिना वेतन के करती हैं 15 साल से छोटी लडकियां

पक्षपातपूर्ण आर्थिक व्यवस्था एवं नीतियों के कारण महिलाओं और पुरुषों के बीच खाई लगातार और गहरी होती जा रही है। इसकी एक बानगी हाल ही स्विट्जरलैंड के दावोस में चल रही world economic foram के मंच पर प्रस्तुत ऑक्सफैम इंटरनैशनल की वार्षिक रिपोर्ट में भी नजर आई।

जयपुरJan 28, 2020 / 05:56 pm

Mohmad Imran

सालाना 151 अरब रूपये जितना काम बिना वेतन के करती हैं 15 साल से छोटी लडकियां

सालाना 151 अरब रूपये जितना काम बिना वेतन के करती हैं 15 साल से छोटी लडकियां

ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में दुनिया भर की सरकारों से ऐसी नीतियों को लागू करने का आह्वान किया जो महिलाओं पर आर्थिक बोझ को कम करें क्योंकि वे ही बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल करती हैं। वहीं संस्था ने अमीरों पर ज्यादा से ज्यादा कर लगाने और बच्चों एवं महिलाओं की स्वास्थ्य देखभाल पर जीडीपी में ज्यादा खर्च करने का भी सुझाव दिया। असमानता पर ऑक्सफैम की यह वार्षिक रिपोर्ट दुनिया भर में गिनती के अरबपतियों और करोड़ों की आबादी वाली महिलाओं के बीच की आर्थिक असामनता पर व्यापक रोशनी डालती है।
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कुछ अमीरों की मुट्ठी में अर्थव्यवस्था
रिपोर्ट में खुलासा किया गया कि दुनिया के 2153 अरबपतियों के पास 460 करोड़ (4.6 बिलियन) लोगों से अधिक संपत्ति है। इतना ही नहीं आर्थिक असामनता को यूं भी समझ सकते हैं कि दुनिया के 22 सबसे अमीर पुरुषों के पास अफ्रीका की32.6 करोड़ महिलाओं की तुलना में अधिक संपत्ति है। संयुक्त राष्ट्र (UNITED NATIONS) के अनुसार वर्तमान में 20 या उससे अधिक आयु के 32.6 करोड़ (326 मिलियन) लोग हैं। लेकिन दुनिया के 1 फीसदी सबसे अमीर धनकुबेरों (ultra rich) के पास 690 करोड़ (6.9 बिलियन) लोगों की तुलना में दोगुना से अधिक संपत्ति है। वहीं रिपोर्ट के मुताबिक 15 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं द्वारा किए जाने वाले देखभाल जैसे अवैतनिक कार्य का मूल्य सालाना 151 अरब रुपए (10.8 ट्रिलियन डॉलर) है। वहीं पिछले एक दशक में अरबपतियों की संख्या भी दोगुनी हो गई है।

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पुरुषों को लाभ देती नीतियां
63 पन्नों की इस रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि दुनिया भर के देशों में सरकारें गरीबों और अमीरों के बीच के इस आर्थिक अंतर को दूर करने में विफल हो रहे हैं। क्योंकि उनकी बनाईं ज्यादातर आर्थिक नीतियां पुरुषों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं जो उन्हें व्यापार और सरकार के शीर्ष पदों पर बैठे व्यक्ति पर हावी होने में मदद करती हैं। रिपोर्ट का तर्क है कि आर्थिक असमानताए को gender असमानता से प्रेरित हो बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार महिलाएं सस्ता और फ्री श्रम उपलब्ध करवाकर अर्थव्यवस्था में सहयोग कर रही हैं। लेकिन पुरुष प्रधान आर्थिक नीतियां एक gender आधारित आर्थिक प्रणाली को बढ़ावा दे रहा है जो लेता तो करोड़ों से है लेकिन देता सिर्फ सैकड़ों की जेब में ही पैसा डालता है। यह रिपोर्ट अमरीका में बढ़ती बहस के बीच इस बात पर भी रोशनी ढालती है कि क्या अरबपति समाज के लिए अच्छे हैं या बुरे?
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कुछ लोग यह तर्क भी देते हैं कि सुपर अमीर सफल पूंजीवादी व्यवस्था की देन हैं जिसने मध्यम वर्ग का निर्माण भी किया है। वहीं अन्य लोगों का कहना है कि अरबपतियों पर अधिक भारी कर लगाने से अधिक न्यायपूर्ण और समान दुनिया बनाई जा सकती है। ऑक्सफैम का तर्क है कि पूंजीवादी व्यवस्था में दरार आ चुकी है क्योंकि यह कुछ लोगों के हाथों में एकाधिकार को पनपने और और उसे नियंत्रित करने की शक्ति देता है।
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