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25 साल सिर्फ पत्नी सुना करती थी गाने, मंच पर तो अब आया हूं: केपी सक्सेना

रिटायर्ड सेशन जज और मोहम्मद रफी के गानों से पहचान बनाने वाले सिंगर केपी सक्सेना ने बयां की अपनी कहानी, न्यायधीश होने के कोर्ड ऑफ कंडेक्ट के कारण किसी मंच पर प्रस्तुति नहीं दे सकते थे, एेसे में अपने पैशन को घर तक रखा सीमित। अनुराधा पोडवाल के साथ गा चुके हैं और भजनों के तीन वीडियो एलबम भी रिलीज हो चुके हैं।

जयपुरNov 27, 2018 / 06:41 pm

Anurag Trivedi

kp sexena

25 साल सिर्फ पत्नी सुना करती थी गाने, मंच पर तो अब आया हूं: केपी सक्सेना

जयपुर। म्यूजिक को दुनिया की सबसे बड़ी असरदार दवा बताने वाले रिटायर्ड सेशन जज केपी सक्सेना ने 25 साल के प्रशासनिक अनुभवों के बाद शहर के नामचीन मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से पहचान बनाई है। पत्रिका स्पेशल सीरीज के तहत इस बार केपी सक्सेना से रूबरू करवा रहे है। उन्होंने बताया कि जन्म कोटा में हुआ और वहां पढ़ाई की। बचपन से म्यूजिक का शौक था और मोहम्मद रफी के गाने गुनगुनाया करता था। इसी दौरान वहां क्लासिकल म्यूजिक भी सीखा। १९८७ में जॉब ज्वॉइन किया और ९३ में जज के रूप में पहली पोस्टिंग जयपुर हुई। यहां से एक अलग सफर की शुरुआत हो गई और मैं पैशन को एक तरफ के करके अपने प्रोफेशन की तरफ ध्यान देने लग गया। काम के बाद रियाज को समय देता था। २५ साल तक हर दिन मेरी एक समर्पित श्रोता रहीं, वह थी मेरी पत्नी। अरज रिटायरमेंट के बाद हजारों श्रोता होते है, लेकिन उस एक श्रोता की लगन मेरी प्रेरणा बन गई।
पद की अपनी सीमाएं थी

एक जज की अपनी सीमाएं होती हैं। पद की गरीमा का हरदम ध्यान रखना होता है। यही कारण है कि तब मैंने मंच पर जाना उचित नहीं समझा। वैसे म्यूजिक मेरी प्रशासनिक सेवाओं में भी फायदा पहुंचाता था, जब भी किसी केस या मामले को लेकर थोड़ा नर्वस होता तो, म्यूजिक से उस स्ट्रेस को दूर किया करता था। सन २००० में मेरा प्रमोशन हुआ और कुशलगढ़ में पोस्टिंग मिली। जिस मकान में रहा, वहां काफी पॉजिटिव एनर्जी थी और वहीं मैंने भजन लिखने की शुरुआत हुई। स्व प्रेरणा से धुन बनती और जो शब्द मिलते उसे डायरी में लिख लिया करता था। जब जयपुर आया और पत्नी को वो भजन सुनाया तो उन्हें यकीन नहीं हुआ कि इसे मैंने लिखा है। जब मैंने पूरा वाकया समझाया तो, उन्होंने सुझाव दिया की इसे तो रिकॉर्ड करवाना चाहिए।
भजनों को संकलन करने के बाद २००६ में मुम्बई गया और वहां संगीतकार विक्रांत माथुर से मिला। उन्हें मेरे भजन बहुत पसंद आए और उसे रिकॉर्ड करवाने की बात कही। गवर्नमेंट की परमिशन लेकर मैंने वो गीत मुम्बई में रिकॉर्ड करवाए, जिसे विक्रांत ने संगीतबद्ध किया। आठ भजनों के एलबम में अनुराधा पोडवाल ने भी मेरे साथ गाया था। इस एलबम में से एक भजन देश की जानी-मानी म्यूजिकल कंपनी ने भारत के फेमस आठ भजनों के एलबम में शामिल किया। इनमें महेन्द्र कपूर, अनुराधा पोडवाल, अनूप जलोटा, हरिहरन जैसे सिंगर्स के नाम थे। उस भजन का नाम ‘ओ मेरे राम’ था।
रिटायरमेंट के बाद पैशन का सफर

फरवरी २०१६ में रिटार्यमेंट के बाद अपने पैशन को पब्लिक के बीच ले जाने का फैसला लिया। इसी साल पहली बार बिड़ला ऑडिटोरियम में कॉन्सर्ट के जरिए मोहम्मद रफी के गानों के साथ स्टेज पर आया। यहां से सिंगर के रूप में पहचान बनने लगी थी। वैसे मैं आज भी गाने के साथ न्याय करता हूं, पूरी तरह जांचकर, रिहर्सल लेकर उसे मंच पर प्रस्तुत करता हूं। मेरा मानना है कि शौक को पूरा करने के लिए उम्र कभी बाधक नहीं होती है। मैंने अपने पैशन को ६० बरस की उम्र से जीना शुरू किया और आज लोग मेरे म्यूजिक के कारण भी मुझे जानते हैं।
रफी का बहुत बड़ा फैन
मोहम्मद रफी का बचपन से फैन रहा हूं, जॉब के दौरान मैंने १०० से ज्यादा रफी के गानों को अपनी आवाज में रिकॉर्ड किया था। मैं अभी रफी के घर कोटला सुल्तानसिंह जाकर आया। घर के मिट्टी को भी अपने साथ लाया, वहां उनकी लाइब्रेरी देखी और उनके म्यूजिक प्रेम

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