अरविंद केजरीवाल ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद अपने संबोधन में सिर्फ कुछ नपी-तुली बातें कहीं। अरविंद केजरीवाल ने कहा आज 2 करोड़ सभी दिल्ली वाले मेरे परिवार का हिस्सा हैं। हम दिल्ली को खूबसूरत बनाएंगे। हमारे विरोधियों ने जो कुछ मुझे बोला उन्हें मैंने माफ कर दिया है। इसी के साथ केजरीवाल ने दिल्ली के निर्माताओं का नाम लिया। कहा कि दिल्ली को ये लोग आगे बढ़ा रहे हैं।
आपको बता दें कि दिल्ली आने के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जिस विकास मॉडल की बात करते थे उसे गुजरात मॉडल ऑफ डेवलमेंट का नाम दिया गया था और उसे मुख्यमंत्री के रूप में खुद नरेंद्र मोदी ने विकसित किया था।
वैसे इस बात पर भी ध्यान दिया गया है कि मोदी और केजरीवाल की कार्यशैली में भी काफी समानता है – दोनों ही तानाशाही शैली में काम करते हैं। दोनों को असहमति पसंद नहीं है- उनसे असहमति का मतलब है पार्टी से बाहर का रास्ता।
यह अंतर जरूर है कि दिल्ली आने के पहले नरेंद्र मोदी चार बार गुजरात के मुख्यमंत्री रहे, लेकिन ये भी नहीं भूलना चाहिए कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल ने जिस भारी अंतर के साथ दो-दो बार विजय हासिल की है वैसा बहुमत नरेंद्र मोदी को मुख्यमंत्री के रूप में गुजरात में कभी नहीं मिला। दिल्ली चुनाव में इस बार मिला बहुमत विशेष रूप से खास है – क्योंकि आप को मिला 62 सीटों का ये बहुमत खुद नरेंद्र मोदी और अमित शाह की नाक के नीचे, उनसे दो-दो हाथ करके हासिल किया गया है।
अब देखना ये होगा की अरविंद केजरीवाल क्या नरेंद्र मोदी से मुकाबला करते करते खुद भी मोदी ही बन जाएंगे और क्या वे इस तरह से खुद मोदी को उनकी ही चालों से मात दे पाएंगे…या फिर केजरीवाल अपनी राजनीति दिल्ली तक ही सीमित रखेंगे। लेकिन दिल्ली मॉडल ऑफ डेवलपमेंट की जिस तरह से चर्चा पूरे देश में होने लगी है, उससे साफ है कि भारत को भी एक विकल्प की तलाश तो है। अब ये तो आगे आने वाला वक्त ही बताएगा कि देश में कौन सा मॉडल ऑफ डेवलपमेंट चलता है और देश राजनीति के किस मॉडल पर आगे बढ़ता है। लेकिन इतना तय लग रहा है भारत की भावी राजनीति का रास्ता इसी मंथन से होकर निकलेगा।