दुर्गति: कागदी नहीं बन पाई द्रव्यवती
बांसवाड़ा. बांसवाड़ा शहर को दो भागों में विभाजित करती कागदी नदी के सौन्दर्यीकरण को मानो पलीता लग चुका है। शहरी हिस्से में यह नाला बन चुकी है और कुछ सालों पहले सात करोड़ रुपए फुंकने के बाद भी यह बदहाली के आंसू रो रही है। जयपुर में द्रव्यवती जैसा सौन्दर्यीकरण करने की घोषणा फाइलों में दफन हो चुकी है, जिसके बाद कागदी नाला बदनुमा दाग सा बन गया है।
दुर्गति: कागदी नहीं बन पाई द्रव्यवती
प्रदेश में 2003 से 2008 के दौरान बांसवाड़ा को सुन्दर बनाने तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने सात करोड़ रुपए की लागत की कागदी सौन्दर्यीकरण योजना स्वीकृत की थी। योजना के तहत कार्यकारी एजेंसी माही परियोजना ने योजना में चिह्नित 17 कार्य भी पूरे किए। पूरे होने के बाद यह कार्य नगर परिषद को हस्तान्तरित भी हुए, किंतु 2008 में सत्ता परिवर्तन के बाद योजना के प्रति अधिकारियों ने आंखें फेर ली। 2013 में फिर भाजपा सरकार बनी, किंतु पांच साल तक कोई सुध नहीं ली। कार्यकाल के अंतिम दिनों में राजे ने बांसवाड़ा यात्रा के दौरान कागदी नाले का सौन्दर्यीकरण जयपुर की द्रव्यवती नदी की तर्ज पर करने की घोषणा की। इसके बाद से धेलेभर का काम नहीं हुआ।
यह हुए थे काम
कार्यकारी एजेंसी माही परियोजना की ओर से पाला स्थित बाल उद्यान, गेटेड एनिकट, कागदी नाले के दोनों ओर ऊंची रेलिंग, व्यू प्वाइंट, जेटी, नियंत्रण कक्ष आदि कार्य किए। उद्घाटन के दिन ही एनिकट का एक गेट निकल जाने से कार्य पर सवालिया निशान भी लगे। बाद में नाले के दोनों ओर बनी सीवर लाइन, पाला उद्यान, व्यू प्वाइंट तथा रेलिंग के रखरखाव का जिम्मा नगर परिषद को सौंपा गया।
पैसा ही नहीं मिला
कागदी को द्रव्यवती जैसा बनाने डीपीआर के लिए एक करोड़ रुपए की घोषणा हुई, किंतु यह राशि भी पूरी नहीं मिली। नगर परिषद की ओर से प्रस्ताव तैयार करने की कवायद शुरू हुई। डीपीआर तैयार करने की निविदाएं आमंत्रित की, किंतु घोषणा के चंद माह बाद हुए चुनाव में सरकार बदली और डीपीआर सहित पूरी घोषणा फाइलों में दफन हो गई।
यह हैं हालात
पाला उद्यान बदहाल है। यहां रैलिंग के नीचे पानी निकलने के लिए संकरी जगह छोड़ी है, जिससे पुल का पानी भी नहीं निकल पाता है। वहीं जवाहर पुल के समीप बनाए एनिकट में मिट्टी और कचरे के ढेर लगे हैं। कागदी नाले में गंदा पानी जमा है। सालभर से जमा गंदगी बारिश में कागदी के गेट खोलने के बाद निकले पानी में बही। करोड़ों की राशि व्यय करने के बावजूद शहरवासियों को कोई राहत नहीं मिल पाई है।
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