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ईमानदार होना भी जनता का दुश्मन समझा जाता है

रंग राजस्थान के तहत शुक्रवार को नाटक ‘एन एनिमी ऑफ पीपुल’ और ‘सराय’ नाटक का मंचन

जयपुरJan 04, 2019 / 09:41 pm

Anurag Trivedi

jkk

ईमानदार होना भी जनता का दुश्मन समझा जाता है

जयपुर। रंग मस्ताने गु्रप की ओर से आयोजित थिएटर एंड फोक फेस्टिवल ‘रंग राजस्थान’ में शुक्रवार को समाज के शोषित वर्ग की समस्याओं को दिखाया गया। कृष्णायन सभागार में योगेन्द्र सिंह परमार के निर्देशन में हेनरिक इबसेन के लिखे और नेमीचंद्र जैन के हिन्दी में अनुवादित नाटक ‘एन एनिमी ऑफ पीपुल’ की प्रस्तुति हुई। रंगायन सभागार में आशीष पाठक के निर्देशन में विजय दान देथा के लिखे नाटक ‘सराय’ की दमदार प्रस्तुति हुई। दोनों नाटकों में व्यवस्थाओं पर कटाक्ष किया गया।
जनता का दर्द बताने वाला दुश्मन
‘एन एनिमी ऑफ पीपुल’ नाटक का मुख्य किरदार डॉक्टर अभय कुमार पानी पर एक रिसर्च करते हैं और पता चलता है कि पानी पीने योग्य नहीं है। यह बात अखबार के संपादक अश्विनी तक जाती है और इसके बाद इस सच्चाई को जानने वाले सभी लोग डॉक्टर का साथ देने का वादा करते हैं। डॉक्टर अपने भाई अमलेन्दु कुमार, जो कि नल कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर हैं और नगर पालिका के चेयरमैन भी हैं, उन्हें इस मामले की पूरी जानकारी एक चिटठी के माध्यम से देते हैं। अमलेन्दु कुमार इस पूरे मामले को समझ कर डॉक्टर को समझाने की कोशिश करता है, लेकिन डॉक्टर की नेकदिली और ईमानदारी के कारण जनता को धोखा देना उसको गंवारा नहीं होता है। अपने भाई और राजनीति के चंगुल में फंसाकर डॉक्टर को सभा में जनता के सामने ही जनता का दुश्मन घोषित कर दिया जाता है। नाटक में महमूद अली, अभिषेक गोस्वामी, गरीमा पारीक, पूजा सहाय, मान मदान, राजेश, निखिल शर्मा, संदीप मिश्रा, कमलेश बैरवा, गौरव सोनी, नीरव विश्नोई ने अभिनय किया। संगीत शकील कुरैशी, लाइट्स डिजाइन स्वप्निल जैन ने दी।
जब अपनों को ही नहीं पहचान पाए
नाटक ‘सराय’ में दिखाया गया कि रामधन एक कुम्हार है, जो अपनी पत्नी और बेटे के साथ रहता है। रेगिस्तान में यात्रियों के लिए एक सराय को चलाने के लिए दंपत्ति को एक व्यवसायिक व्यक्ति की ओर से चुना जाता है। यह दंपत्ति बहुत मेहनत और ईमानदारी से काम करता है और उचित समय में उनके लिए एक अच्छा नाम स्थापित करता है। एक दिन एक बिजनेसमैन और उसकी बीमार पत्नी सराय में पहुंचते हैं। कुम्हार और उसकी पत्नी उनकी अच्छी तरह से सेवा करते हैं और धनी व्यापारी व्यक्ति उनके बेटे को व्यवसाय के तरीकों से प्रशिक्षित करने की पेशकश करता है और वह उनके बेटे को सोलह साल के लिए साथ ले जाता है। अपने बेटे के आने का इंतजार करते हुए, दंपति धीरे-धीरे लालची हो जाते हैं और अपने मेहमानों को मारने और लूटने लग जाते हैं। वर्षों बाद वे अपने ही बेटे को पहचानने में असफ ल हो जाते हैं। नाटक में बॉबी सप्रे, स्वाति दुबे, सुभा सिंह, कार्तिक जायसवाल, ऋषि यादव, नीरज वाल्मिकी, शिवम सिक्का, ज्योत्सना कटारिया, शिवम बावरिया, शिवंजलि गजभिये सहित कई कलाकारों ने अभिनय किया।

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