2020 कोरोना महामारी के साथ ही जलवायु परिवर्तन का वर्ष भी रहा। भले ही लॉकडाउन के कारण कारखाने और यातायात बंद रहने से पर्यावरण सुधरा, लेकिन 2020 इस सदी में 2016 जितना गर्म वर्ष भी रहा। जलवायु परिवर्तन के कारण इस वर्ष बाढ़, सूखा, तूफान और टिड्डियों के हमले से निपटने पर भारी रकम खर्च करनी पड़ी।
पेरिस जलवायु समझौते में दुनिया के ज्यादातर देशों ने ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर प्रभावी नियंत्रण लगाने पर सहमति जताई थी, ताकि सदी के अंत तक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोका जा सके। लेकिन अब वैज्ञानिक मान रहे हैं सदी के अंत तक 3.2 डिग्री सेल्सियस तक तापमान बढ़ सकता है।