हालांकि कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक बारिश से गेहूं और चना जैसी फसलों में किसी प्रकार के प्रभाव से इंकार कर रहे हैं, लेकिन पकी और कट रही सरसों की फसल में प्रभाव पडऩा तय है। वहीं बारिश के साथ हवा चली तो अन्य फसलें भी प्रभावित होगी। यही वजह है कि बिगड़े मौसम के कारण किसान चिंतित है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक बादल छाने से बारिश की संभावना है और 2 से 4 मार्च के बीच पश्चिमी मध्यप्रदेश् और पूर्व राजस्थान में बारिश का आंकलन है।
यूं तो पिछले दिनों जिले के कराहल क्षेत्र में बारिश और कुछ क्षेत्रों में छोटे ओले भी गिरे हैँ, ऐसे में अब फिर से मौसम बिगड़ रहा है। जिले में पश्चिमी विक्षोभ का असर दिखाई देने लगा है। गुरुवार-शुक्रवार की रात से ही हवाओं की दिशा बदलकर दक्षिण-पूर्व हो गई है। ऐसे में बादल छाने लगे हैं। मौसम विभाग ने आगामी 4 मार्च तक बारिश की संभावना जताई है। ऐसे में जिले में बोई गई 1 लाख 55 हजार हेक्टेयर रबी फसलों पर संकट के बादल छाने लगे हैं।
95 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल
गत बारिश के सीजन में अच्छी बारिश और वर्तमान में चंबल नहर से सिंचाई को मिले पर्याप्त पानी से इस बार जिले में गेहूं का रकबा बढ़कर 95 हजार हेक्टेयर में हो गया है। वहीं सरसों 34 हजार और चना 20 हजार हेक्टेयर में है। हालांकि अभी गेहंू में बालियां और चने में बूटे आने लगे हैं, लेकिन सरसों की फसल पककर कटना भी शुरू हो गई है। ऐसे में बारिश होती है तो सरसों की फसल पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
हवा का रुख बदला तो दिखने लगा गर्मी का असर
मौसम के मिजाज बदलने के बाद अब गर्मी के मौसम ने भी दस्तक दे दी है। बीते दो दिनों में हवा का रुख बदला तो तापमान में भी इजाफा हुआ है, लिहाजा गर्मी का असर दिखने लगा है। अधिकतम तापमान जहां 30 डिग्री को पार कर गया है, वहीं न्यूनतम तापमान भी 15 डिग्री के ऊपर हो गया है। शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 16 डिग्री और अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड हुआ है।