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Exclusive: नो सेलिब्रेशन, ओनली कम्यूनिकेशन की तर्ज पर फड़नवीस

महाराष्ट्र में एक साल पूरे करने जा रही है बीजेपी, ऐसे में मुख्यमंत्रीव ने कम्यूनिकेशन
के जरिए ही सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया

Oct 25, 2015 / 03:16 pm

Rakesh Mishra

Devendra Fadnavis

Devendra Fadnavis

रोहित तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र की बीजेपी सरकार का 31 अक्टूबर को एक साल पूरा होने वाला है। इसके लिए देवेंद्र फड़नवीस ने कोई खास सेलिब्रेशन नहीं, बल्कि ओनली कम्यूनिकेशन के तहत ही सरकार की उपलब्धियों को लोगों तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया है। चलिए जानते हैं महाराष्ट्र कहानी, खुद सीएम फड़नवीस की जुबानी।

आर्थिक संकट से निपटने के लिए क्या कर रही है सरकार
(गंभीर मुद्रा में) महाराष्ट्र में पिछले तीन साल से जिस तरह से सूखे के हालात बने हुए हैं, उससे किसानों की स्थिति दिन पर दिन बिगड़ रही है। इसी वजह से महाराष्ट्र की अर्थ व्यवस्था पर काफी दबाव पड़ रहा है। इसके पीछे सबसे अहम कारण खेतों में समय पर सिंचाई न हो पाना है, जिसके कारण फसल बर्बाद हो जाती है। किसानों को इस समस्या से उबारने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने जल युक्त शिवार योजना शुरू की गई। विदित हो कि पिछले 20-25 सालों में किसी भी योजना को इतना बेहतरीन प्रतिसाद इससे पहले नहीं मिला होगा। इस योजना के तहत 6 हजार गांवों में 1 लाख से ज्यादा स्ट्रक्चर्स तैयार किए, जिसके माध्यम से हम 24 टीएमसी पानी को रोक पाने में सफल रहे हैं। अगर इस पानी को सिंचाई के लिए प्रयोग किया जाए तो करीब 6 लाख हेक्टेयर जमीन पर इस एकत्रित किए हुए पानी से सिंचाई की जा सकती है। बता दें कि इस योजना का कुल खर्च 1400 करोड़ रूपये है, जिसमें से 300 करोड़ रूपए लोगों ने एकत्र किए हुए हैं। जबकि इसी समस्या ने निपटने के लिए पिछली सरकार को यही 24 टीएमसी पानी रोकने के लिए 6 से 8 साल लग गए थे।

जल युक्त शिवार योजना का प्रतिसाद कैसा मिल रहा है
नंदूरबार के 72 गांवों में 16 हजार हेक्टेअर जमीन की सिंचाई की गई है। जब मानसून के दौरान बीच में बारिश नहीं हो रही थी तो गोंदिया में जल युक्त शिवार योजना के तहत एकत्रित पानी से 25 हजार हेक्टेअर जमीन की सिंचाई की गई। एक घटना को याद करते हुए वे बताते हैं कि नंदूरबार स्थित थानेपारा गांवे का प्रकाश पवार नाम का किसान मेरे पास आया और बोला कि इन दिनों उसके कुएं में एक बूंद भी पानी नहीं रहता था। फिर इस योजना के तहत अब वहां पर पानी सूखता ही नहीं है, अब इतना ज्यादा पानी मेरे कुएं में है। इस तरह से हर जगह वाटर लेवल बढ़ा है। इतने सूखे के बावजूद मराठवाड़ा में रबी के सीजन में पिछली बार से ज्यादा बुआई की जा रही है, वह भी सिर्फ 6 दिन की बारिश में। इस योजना के तहत हम इस वर्ष 5 हजार गांव और लेने वाले हैं। इस तरह से हम इन पांच सालों में 20 से 22 हजार गांवों की समस्या का निदान कर सकते हैं, जो हमेशा ही पानी की किल्लत से परेशान रहते हैं।

लाख प्रयासों के बावजूद आज भी अंधेरे में हैं कई गांव
किसानों को बिजली की समस्या से निजात दिलाने के लिहाज से इस बार सरकार की तरफ से करीब 1 लाख बिजली के नए कनेक्शन दिए गए हैं, जिसमें से जरूरतमंद क्षेत्रों को 60 हजार कनेक्शन मुहैया कराए गए हैं। जबकि यही बिजली कनेक्शन पिछले कई सालों से पेंडिंग पड़े थे। इस तरह से अगर किसान को बिजली और पानी समय से मुहैया कराई जाए तो पहली बार में न सही, लेकिन दो से तीन बार में उसकी दयनीय स्थित में सुधार आना शुरू हो जाएगा। इस तरह से हमारी सरकार का दावा है कि आगे आने वाले 3 सालों में हम कृषि की समस्या पर काफी हद तक फतेह पा लेंगे। इसी के तहत 14 जिलों पथदर्शी प्रकल्प्य शुरू किए हैं, वहां पर उन्हें हमने फूड सिक्योरिटी भी दी है।

क्या आप खेती के लिए इजराइल पद्धति का सहारा ले रहे हैं
श्पथदर्शी प्रकल्प्य के तहत दो जिलों, यवतमाल और उस्मानाबाद में शुरू कर रहे हैं। इजराइल की मदद से हम वहां पर 2 क्लस्टर्स तैयार करेंगे। उसमें पूर्ण रूपेण इजराइली पद्धति से खेती (कम जगह में ज्यादा खेती करना) की व्यवस्था की जा रही है। फिर 10-10 गांवों को साथ लेकर उनका क्लस्टर तैयार करके उसे भी आगे बढ़ाया जाएगा। इस तरह से हम एक अच्छी और बेहतरीन खेती कर सकेंगे। फिर उसी को प्रमोट करते हुए अन्य जगहों पर भी योजना का लाभ पहुंचाया जाएगा। इस तरह से महाराष्ट्र सरकार का किसाना और खेती संबंधित प्रयास अनवरत जारी है।

मौसम विभाग के लिए क्या कर रहे हैं आप
अभी तक महाराष्ट्र में जो भी वेदर संबंधित डाटा मिलता है, वह चौपल वेदर स्टेशन से आता है। इसके लिए हमने महाराष्ट्र भर में 1059 वेदर स्टेशन लगाने का फैसला लिया है, जिसका टेंडर भी पास हो गया है। इसके लिए एक सेंट्रल टॉवर बनाया जाएगा, जहां से गांव-गांव तक वेदर से संबंधित जानकारी किसानों को दी जा सकेगी। साथ ही तकनीकि की सहायता से हम ग्राम पंचायतों में इसे ब्रॉडकॉस्ट करने का प्रयास करेंगे। वेदर संबंधी जानकारी किसानों तक पहुंचाने के लिए अभी तक हमारे पास 10 लाख किसानों का ही डाटा था, जिन्हें हम एसएमएस के जरिए वेदर की जानकारी देते थे। अब यह डाटा बढ़कर 50 लाख पहुंच गया है और हमने मैसेज के जरिए उन्हें खेती से संबंधी जरूरी बातों से अवगत कराया तो जिन्होंने उसे फॉलो कियाए जिससे वे अपना काफी पैसा नुकसान होने से बचा सके।

क्राइम से निपटने के लिए कोई खास रणनीति
महाराष्ट्र देश का पहला राज्य है, जहां पर सारे पुलिस स्टेशनों को ऑनलाइन कर दिया गया है। बता दें कि केंद्र सरकार ने तीन साल पहले देश भर में सीसीटीएनसी व्यवस्था शुरू की थी। किसी भी राज्य में नहीं हो सका और अपना राज्य भी पीछे रहा। गृह मंत्री बनते ही हमने पहले उस व्यवस्था पर ध्यान दिया और 6 महीने में ही हमने पहला पुलिस स्टेशन ऑनलाइन हो गया और इस एक साल में 100 प्रतिशत पुलिस स्टेशन ऑनलाइन हैं। इस तरह से यह देश का पहला राज्य है, जबकि अन्य राज्यों में उस केंद्र सरकार की व्यवस्था पर 20.25 प्रतिशत ही कार्य हो सका है। बता दें कि अब हम इस व्यवस्था को क्राइम एंड क्रिमिनल व्यवस्था से भी जोड़ने जा रहे है, जिससे आरोपी तक आसानी से पहुंचा जा सकेगा। इसके अलावा गृह विभाग के तहत महाराष्ट्र का रेट ऑफ कन्विक्शन काफी गिर गया था, जो 9 प्रतिशत तक गिर गया था। यानी अगर हम 100 आरोपी पकड़ते थे तो उसमें से 91 छूट जाया करते थे और सिर्फ 9 को ही सजा हो पाती थी। इसे परेशानी से निपटने के लिए हमने 17 अलग-अलग जीआर निकाले, जिससे हमने फॉरेंसिक व्यवस्था को मजबूत किया। इस तरह से आज एक साल में महाराष्ट्र का रेट ऑफ कन्विक्शन 41 प्रतिशत पहुंच गया है। इस प्रतिशत को हमारी सरकार अगले साल तक 60 प्रतिशत तक ले जाना चाहती है।

पुणे की तर्ज पर पूरे मुंबई में पैनी नजर रखने के लिए क्या व्यवस्था है
बहुत जल्दए उम्मीद है कि 2016 तक पूरा मुंबई सीसीटीवी में कैद होगा। पुणे देश का ऎसा पहला शहर हैए जो Rाइम डिटक्शन में अव्वल है। पूरा शहर 24″7 की तर्ज पर सीसीटीवी की निगरानी में रहता है। इस तरह से वहां पर लॉ एंड ऑर्डर में काफी हद तक निगरानी रखी जा सकेगी। मुंबई में भी इस व्यवस्था को लागू करने के लिए कई सालों से बात चल रही थी, लेकिन हमारी सरकार आने के बाद हमने तीन महीनों में उस पर ध्यान दिया और इस नवंबर में पूरी साउथ मुंबई सीसीटीवी से लैस होगी, जिसमें करीब 1 हजार सीसीटीवी लगे हैं। इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए हमारी सरकार का लक्ष्य अगले साल के नवंबर तक पूरे मुंबई को सीसीटीवी में कैद करने का है, जिसमें 6 हजार कैमरे लगाने की व्यवस्था की गई है। इस तरह से यह दुनिया भर का सबसे बड़ा नेटवर्क कहलाया जा सकेगा।

मेट्रो, ट्रांस हार्बर लिंक और कोस्टल रोड के लिए आप क्या कर रहे हैं
अभी हाल ही में सरकार की तरफ से नागपुर से मुंबई कम्यूनिकेशन सुपर एक्सप्रेस वे की घोषणा की गई है। अगर यह लागू होता है तो यह महाराष्ट्र का सबसे बड़ा गेम चेंजर होगा। इसके तहत महाराष्ट्र के पिछड़े इलाकों को मेन स्ट्रीम में लाने का काम आसान हो जाएगा। इससे खेती के प्रोडक्ट्स को काफी बड़ा बाजार मिलने की संभावना बढ़ जाएगी। इसके अलावा 2019 तक मुंबई के हर वार्ड को मेट्रो से जोड़ने का लक्ष्य बनाया गया है। बता दें कि जहां तीन-तीन साल जमीन नहीं मिलती, वहां हमने तीन महीने में जमीन मुहैया कराई है। साथ ही ट्रांस हार्बर लिंक पर भी चर्चा की जा रही है, जिसका टेंडर अगले साल मार्च तक आने की संभावना है। कोस्टल रोड पर भी काम जारी है, जिसकी दिल्ली में सुनवाई भी हो चुकी है। यह रोड नरीमन प्वाइंट से मलाड तक होगी। इससे मुंबई को डी-कन्जेस्ट करने में आसानी होगी। इसके अलावा ईस्टर्न साइन में वॉटर ट्रांसपोर्ट का काम भी शुरू हो गया है। इस तरह से हमारी सरकार की योजनाएं बड़े ही फास्ट ट्रैक पर चल रही हैं।

आदिवासी बच्चों के लिए आपकी सरकार क्या प्लानिंग कर रही है
जी बिल्कुल… प्रति वर्ष 25 हजार आदिवासी बच्चों को हमने राज्य के अच्छे स्कूलों में पढ़ाने की योजना बनाई है, जबकि अभी तक उन्हें स्थानीय आश्रम शालाओं में ही शिक्षा दी जाती थी। इस योजना के तहत अभी तक इस वर्ष के हमारे पर 20 हजार एडमिशन हो भी चुके हैं और 5 हजार होने बाकी हैं। महाराष्ट्र की यह योजना बहुत यशस्वी हुई है। इस तरह से अगल पांच साल में सवा लाख आदिवासी बच्चे अगर अच्छे स्कूलों में पढ़ेंगे तो आदिवासी समुदाय की जीवन शैली में भी बड़ा अंतर दिखाई देना शुरू हो जाएगा। इसी के साथ सारे आदिवासी स्कूलों को हमने एक सेंट्रलाइज मेकेलाइज किचन से खाना देने की व्यवस्था की है। इसके तहत हमने 35 हजार बच्चों को खाना देना शुरू भी कर दिया है। अच्छा खाना मिलने का फायदा भी हो रहा है, हमें अब उनके शारीरिक पोषण में काफी सुधार भी दिखाई देने लगा है।

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