संस्था का कहना है कि छह सप्ताह के प्रशिक्षण शुरू हो गया है। संस्था ने इससे पहले भी कैंसर, पार्किंसन और बैक्टीरिया जनित बीमारियों का पता लगाने के लिए श्वानों को प्रशिक्षण दे चुकी है। मेडिकल डिटेक्शन डॉग्स की संस्थापक क्लेयर गेस्ट का कहना है कि श्वान मनुष्य की त्वचा के टेंपरेचर को बारीकी से पता कर सकते हैं। हमें पूरा भरोसा है कि प्रशिक्षित डॉग्स वायरस की गंध को आसानी से पकड़ सकते हैं और यह तेजी से काम करेगा।
एयरपोट्र्स पर तैनात किया जाएगा
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि मलेरिया और सांस से जुड़ी बीमारी को श्वान सटीकता से भांप लेते हैं। दरहम विवि के प्रोफेसर स्टीव लिंटसे का कहना है कि श्वानों को एयरपोर्ट आदि पर तैनात किया जा सकता है, ताकि बाहर से आने वाले आगंतुक की जांच हो सके।
लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन के चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि मलेरिया और सांस से जुड़ी बीमारी को श्वान सटीकता से भांप लेते हैं। दरहम विवि के प्रोफेसर स्टीव लिंटसे का कहना है कि श्वानों को एयरपोर्ट आदि पर तैनात किया जा सकता है, ताकि बाहर से आने वाले आगंतुक की जांच हो सके।