इस उम्र में भी उन्हें लोकगीत और व्रत कथाएं कंठस्थ हैं। वे बागड़ी बोली में ही लोकगीत और व्रत कथाएं शेयर करती हैं। उनके वीडियो देश में ही नहीं, विदेशों में भी पसंद किए जाते हैं। वे अपने कौशल से हमारी संस्कृति को संजोने का काम कर रही हैं और उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं, जो उम्र के इस पड़ाव पर भी तकनीक से जुड़कर भावी पीढ़ी को विरासत की सौगात दे रही हैं।
लोकगीतों का है खजाना
बादू देवी बेहद सादगी भरे और देसी अंदाज के साथ दादी व्रत और उनसे जुड़ी कथाओं के वीडियो बागड़ी बोली में शेयर करती हैं। उनके पोते रूबी गौड़ कहते हैं कि दादी के पास लोकगीतों से लेकर व्रत और उनकी कथाओं का खजाना है। वे अपने वीडियो में उन व्रतों की कथाओं के साथ नियम भी बताती हैं जो आज की महिलाएं भूल गई हैं।