सिखों के दसवें गुरू गोबिंद सिंह का आज 349वां जन्मदिन है। वे सिपाही, कवि और फिलॉसोफर थे और उन्होंने महज 9 साल की उम्र में अपने पिता गुरू तेग बहादुर से गुरू गद्दी हासिल कर ली थी।
1. गुरू गोबिंद सिंह ने 1699 की बैसाखी पर खालसा पंथ की स्थापना की थी। इस दौरान उन्होंने सिखों को पांच ऎसे चिह्न दिए जिनसे उनकी पहचान भीड़ में भी अलग नजर आए। यह थे – केश, कंघा, कड़ा, कृपाण और कच्छहरा।
2. गुरू गोबिंद सिंह ने अपने जीवन में अन्याय के खिलाफ कई लड़ाईयां लड़ीं और सबको अन्याय के खिलाफ लड़ने और कमजोर की रक्षा करने का संदेश दिया।
3. जीवन के अंतिम दिनों में गुरू गोबिंद सिंह ने गद्दी गुरू ग्रंथ साहिब को सौंपी और सभी सिखों को आदेश दिया कि अब से ग्रंथ साहिब ही उनके गुरू होंगे और अब कोई भी देहधारी गुरू नहीं होगा।
4. उन्होंने मुगलों के साथ किए युद्धों में न केवल अपने चारों बच्चों बल्कि सरबंस कुर्बान किया और देश-धर्म के लिए त्याग करने की सीख दी।
5. उन्होंने युद्ध भूमि में दुश्मनों से डट कर मुकाबला करने अपनी जीत निश्चय करने की सीख दी।
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