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हीमोफिलिया दिवस विशेष: हाड़ौती में हीमोफिलिया का इलाज हुआ आसान

हीमोफीलिया रोग और अन्य वंशानुगत रक्तस्राव विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 अप्रेल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। 1989 में, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया (डब्ल्यूएफएच) ने डब्ल्यूएफएच के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल के जन्मदिन के सम्मान में विश्व हीमोफिलिया दिवस की शुरुआत की गई थी। हाड़ौती अंचल में भी हीमोफिलिया के कई रोगी है।

कोटाApr 17, 2024 / 05:27 pm

Abhishek Gupta

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कोटा. हीमोफीलिया रोग और अन्य वंशानुगत रक्तस्राव विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 17 अप्रेल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। 1989 में, वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफिलिया (डब्ल्यूएफएच) ने डब्ल्यूएफएच के संस्थापक फ्रैंक श्नाबेल के जन्मदिन के सम्मान में विश्व हीमोफिलिया दिवस की शुरुआत की गई थी। हाड़ौती अंचल में भी हीमोफिलिया के कई रोगी है।
इलाज आसान

मरीजों के लिए हीमोफिलिया का इलाज आसान हो गया। एमबीएस अस्पताल में वातानुकूलित डे केयर सेंटर बना हुआ है। यहां करीब 70 मरीज हीमोफिलिया के रजिस्टर्ड है। इनमें 64 ए, 5 बी व 1 सी फैक्टर का मरीज है। हीमोफिलिया सेंटर के प्रभारी व मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सीपी मीणा बताते है कि फैक्टर-ए 80 प्रतिशत, 15 प्रतिशत मरीजों में बी तथा 5 प्रतिशत में सी फैक्टर रहता है। फैक्टर ए में 8, फैक्टर बी 9 व फैक्टर सी फैक्टर 11 की कमी से होता है।
ऐसे होते है लक्षण

हीमोफिलिया एक अनुवांशिक बीमारी है। इसके लक्षण पुरुष में मिलते है, लेकिन महिलाओं से परिवार में आगे बढ़ती है। बच्चा जब जन्म लेता है तो रक्त का स्त्राव अधिक होता है। स्कीन में धाग धब्बे व जोडो में खून एकत्रित हो जाता है। जब ऐसे व्यक्ति को कोई चोट लगती है तो उसके शरीर से रक्त का स्त्राव अधिक होता है। यदि फैक्टर लेवल एक से कम होता है सिवियर होता है। इसमें मरीज के ब्रेन हेमरेज हो जाता है। यह खतरनाक होता है। इसमें मरीज की जान को खतरा रहता है। फैक्टर 1 से 5 तक हो तो मोडरेट व 5 से 10 को तो माइल्ड कैटेगिरी होती है।
इलाज के लिए जांच जरूरी

डॉ. मीणा ने बताया कि हीमोफिलिया की पहचान के लिए हीमोफिलिया का स्क्रीन करवाना जरूरी है। जिनके माता-पिता यदि हीमोफिलिया से पीडि़त है तो उनके बच्चे का स्क्रीनिंग टेस्ट भी जरूरी है। इलाज के लिए ब्लड का फैक्टर चढ़ाना होता है। इसके लिए 2 से 3 घंटे का समय लगता है। हीमोफिलिया के लिए मरीजों के एक लाख रुपए का खर्चा आता है, लेकिन एमबीएस अस्पताल में इंजेक्शन, दवाइयां मरीजों के लिए नि:शुल्क है।

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