बेहद जटिल होता है बाप-बेटे का रिश्ता
दिल्ली के रघुनाथ (बदला नाम) बताते हैं- अपने पिता के साथ मेरा दोस्ताना रिश्ता था, फिर भी कई मुद्दों पर उनसे विवाद हो जाया करता था। मैं सोचता था कि मैं अपने बेटे के साथ ऐसा नहीं होने दंूगा। अपने व्यवहार में बेहद सतर्क रहूंगा। खैर, यह सब सोचने का कोई लाभ नहीं हुआ। बहुत उदार और मित्रवत व्यवहार करने के बाद भी मेरा अपने बेटे से कई मुद्दों पर टकराव होता रहता है।
मनोचिकित्सक नियति धवन के अनुसार, संचार तंत्र के प्रसार ने भी पुत्र के बीच की दूरी को कम किया है। इससे खुलापन आया है और संबंधों में संवादहीनता काफी हद तक खत्म हुई है।
हमारी सांस्कृति में पिता के आशीर्वाद के महत्व की चर्चा है। शास्त्रों की मान्यता है कि जिस बालक-बालिका का पिता का आशीर्वाद मिल जाता है, उसका जीवन धन्य हो जाता है। बच्चों को इसके प्रति जागरूक किया जाना चाहिए।
स माजशास्त्री अंकुर पारे के अनुसार दिक्कत यह है कि आज के आधुनिक जीवन में पिता-पुत्र का सहज संबंध विकसित नहीं हो पा रहा है। व्यस्तता और भागदौड़ भरी दिनचर्या की वजह से पिता बेटे को समय नहीं दे पाते। वे सोचते हैं कि उनका दायित्य बस एक अच्छे स्कूल में दाखिला करा देने तक सीमित है। बाकी का काम स्कूल वाले कर ही देंगे। लेकिन बच्चे जब बड़े होते हैं, तब पता चलता है कि बाप-बेटे के रिश्ते में कितनी दूरी आ गई है। आज के बच्चे अगर व्यावहारिक सामाजिक ज्ञान से वंचित हैं, तो इसका एक बड़ा कारण है पिता से उनकी दूरी।
सलाह देते रहें…: बेटा कुछ बातें अपने पिता से शेयर करना चाहता है। उसे अच्छी सलाह की जरूरत हो सकती है। सलाह देने के लिए हमेशा उपलब्ध रहें।
अच्छा व्यवहार : ज्यादातर बेटों की इच्छा होती हैं कि वे पिता की तरह बनें। इसलिए उसके सामने अच्छा उदाहरण रखें, ताकि वह जीवन में सफल हो सके।
काम में मदद लें : जब मुमकिन हो, तब बेटे को अपने काम में शामिल करें। उसे घर के छोटे-मोटे काम करने भी सिखाएं। इससे पिता-पुत्र का रिश्ता और मजबूत होता है।
बेटे का दोस्त : अपने बेटे के अच्छे दोस्त बनें, ताकि वह अपने दुख-सुख की बातें आपसे सांझा कर सके। उसके साथ खेलें, पढ़ाई में उसकी मदद करें।