डीएनए में बसती है आइस स्केटिंग
फ्राइसलैंड में जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणाम रोजमर्रा की जिंदगी में भी देखे जा सकते हैं। यहां चलने लायक होने पर ही बच्चे स्केटिंग सीख लेते हैं। यहां के लोगों में स्केटिंग इस कदर बस गई है कि बर्फ के इन्डोर स्टेडियम में कृत्रिम बर्फ पर बच्चे स्केटिंग का प्रशिक्षण लेते हैं। उनके लिए आइस स्केटिंग खेल से बढ़कर है। यह उनकी सांस्कृतिक विरासत और इतिहास का हिस्सा है। यह नहर 11 शहरों के लोगों को जोड़ती हैं, लेकिन अब इस रिश्ते के टूटने से सांस्कृतिक पतन का खतरा मंडराने लगा है।
इस वजह से टल रही प्रतियोगिता
वैज्ञानिकों का मानना है कि पानी और बर्फ पर आयोजित होने वाले खेल 2050 तक 50 फीसदी तक घट जाएंगे। जलवायु परिवर्तन के चलते स्कीइंग, सर्फिंग, नौकायन और वॉटर स्केटिंग जैसी गतिविधियां तेजी से घट रही हैं। तेज गर्मी की वजह से खिलाडिय़ों का प्रशिक्षण भी बेदह कम दिया जा रहा है। 1880 के बाद बीता साल पृथ्वी के सबसे गर्म साल में दर्ज किया गया है। हाल यह है कि कई आयोजन तो कृत्रिम रूप से तैयार बर्फ पर करवाए जा रहे हैं। नीदरलैंड में इस प्रतियोगिता के चेयरमैन विएब विलिंग का कहना है कि रेस के लिए कम से कम 6 इंच मोटी परत का होना जरूरी है। लेकिन बीते साल भी बर्फ की परत बमुश्किल 2 इंच थी, ऐसे में उस पर रेस आयोजित नहीं की जा सकी। दो दशकों के हालात को देखते हुए इस साल भी इसकी उम्मीद कम है।