नई दिल्ली. जिंदगी में आपके कामकाज पर खुशियों का सीधा असर होता है। खुशी के इसी रहस्यमयी संसार को जानने के लिए आईआईटी खडग़पुर जैसे तकनीकी और विज्ञान के केंद्र में अब खुशी जैसे विषय पर शोध के लिए रेकी सेंटर भी स्थापित किए जाएंगे।
रेकी सेंटर का होगा विकास
आईआईटी खडग़पुर प्रबंधन ने इंसानी जिंदगी में खुशियों के रहस्यमयी संसार को जानने के लिए रेकी सेंटर स्थापित करने का निर्णय लिया है। साथ ही ग्रैजुएट, पीजी व पीएचडी स्तर के डिग्री व शोध पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। ताकि खुशी के विज्ञान से संबंधित सूक्ष्मतम पहलुओं की जानकारी हासिल कर तनाव भरी जिंदगी से लोगों को मुक्ति दिलाने का मार्ग प्रशस्त हो सके। इस सेंटर में 60 से 70 छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा।
प्रस्तावित पाठ्यक्रम
प्रबंधन ने खुलासा किया है कि इसके लिए विभिन्न स्तरों पर ग्रैजुएट, पीजी, पीएचडी स्तर पर पॉजिटिव साइकॉलोजी, क्रिएटिव आट्र्स एंड पॉजिटिविटी, पेडागॉगी सिग्रल्स एंड टेक्नॉलोजी फार पॉजिअिव मेडिटेशन जैसे पाठ्यक्रशुरू करने की योजना है।
नॉन आईआईटी स्टूडेंट़स को भी प्रवेश संभव
आईआईटी खडग़पुर के निदेशक पार्था प्रतिम चक्रवर्ती ने इस बात की घोषणा करते हुए कहा कि पाठ्यक्रम में प्रवेश आईआईटी के छात्रों को दिया जाएगा, लेकिन संस्थान ने यह निर्णय लिया है कि इसमें नॉन आईआईटीयन को भी प्रवेश देने पर विचार किया जा सकता है। इस पाठ्यक्रम पर शिक्षण कार्य वर्ष 2017 से ही शुरू करने की योजना है।
क्यों पड़ी इसकी जरूरत
तकनीकी और विज्ञान की परतों को कुरेदने के लिए चर्चित आईआईटी को भला मानव व्यवहार से संबंधित खुशी जैसे विषयों पर आखिर कई स्तरीय डिग्री पाठ्य़क्रम और शोध पाठ्यक्रम शुरू करने के लिए निर्णय क्यों लेना पड़ा। इसका सीधा सा जवाब है कि इन तकनीकी संस्थानों को भी इस बात का पता चल गया है कि पिछले कुछ दशकों में मानवीय व्यवहार को लेकर शैक्षिक संस्थानों का नजरिया उपेक्षापूर्ण रहा है। जबकि विकास के दौर में इंसान का जीवन संतुलित रहे, वह खुश रहे और बेहतर काम कर सके, इसके लिए जरूरी है कि वो इस बात को भी समझे कि इंसान खुश कैसे रह सकता है। दरअसल इसी जरूरत को पूरा करने के लिए प्रबंधन ने खुशी के विज्ञान पर पाठ्यक्रम चलाने का निर्णय लिया है।
किन-किन विषयों पर होगा जोर
जिन विषयों को फिलहाल पाठ्य़क्रम में शामिल किया गया है उनमें खुशी का विज्ञान, तनाव प्रबंधन, हानि से नुकसान होने पर स्थिति का सामना करने की क्षमता, सकारात्मक मनोविज्ञान, नकारात्मकता से कैसे रहें दूर, जिंदगी में चुनौतियों का सामना कैसे करें, खुशियों को सामुदायिक जीवन से संबंध आदि।
अलग सेंटर बनाने का मकसद
प्रबंधन का कहना है कि साइंद और तकनीक के दो मकसद हैं। पहला प्रकृति को समझना और दूसरा मानव जीवन को आसान और बेहतर बनाना। आईआईटी खडग़पुर अब पहले के लक्ष्य से एक कदम आगे बढ़ाते दूसरे लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यह स्थायी रूप से सकारात्मक दिशा में उठाया गया कदम है। पहले हमने भौतिक विज्ञान उसके बाद क्वांटम थ्योरी, फिर मैकेनिकल साइंस, फिर आईटी, कंप्यूटर और अब हम आत्म चेतना के विकास दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
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