आईआईटियन प्रदीप बेच रहे 5 पैसे में 1 ली. शुद्ध पानी
आईआईटी मद्रास के रसायन विभाग के प्रोफेसर टी प्रदीप ने अमृत वाटर फिल्टर बनाया है
मद्रास। भारत के कई राज्यों में भूजल विषैले रसायन आर्सेनिक से बुरी तरह से प्रदूषित हो चुका है। आर्सेनिकमुक्त दिलाने के लिए आईआईटी मद्रास के रसायन विभाग के प्रोफेसर टी प्रदीप ने अमृत वाटर फिल्टर बनाया है। हाल ही में प्रो. प्रदीप को अमरीका के नैनोहोल्डिंग संस्थान ने 120 करोड़ रुपये मुहैया कराए हैं। जो अभियान को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।
1994 में की थी शुरुआत
प्रो. प्रदीप ने आईआईटी मद्रास के सहयोग से पानी को आर्सेनिकमुक्त करने के उपकरण बनाने की शुरूआत 1994 में मात्र 42 हजार रुपये के साथ की थी। निरंतर सफलता मिलने के बाद इस फंड को बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दिया गया।
प्रो. प्रदीप के इस प्रयास को भारत में काफी सराहा गया। भारत सरकार नैनो मिशन के तहत इस प्रोजोक्ट को फंड मुहैया करा रही थी। प्रो. प्रदीप ने राय व्यक्त करते हुए कहा कि यदि हर इंस्टीट्यूट में इसी तरह की रिसर्च होने लगे, तो देश से कई समस्याएं खत्म हो जाएंगी।
अमरीका के नैनोहोल्डिंग्स ने दी 120 करोड़ की मदद
1994 में 42 हजार रुपये से योजना की शुरूआत
प्रो. प्रदीप ने 2008 में इन्नोनैनो रिसर्च प्राइवेट नाम से स्टार्टअप की शुरूआत की
आईआईटी मद्रास में 10 रिसर्च स्टाफ कर रहे हैं काम
देश के 750 स्थानों पर वाटर फिल्टर लगाये गए
2008 में की कंपनी की शुरूआत
प्रो. प्रदीप ने 2008 में आईआईटी मद्रास के सहयोग से ही इन्नोनैनो रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी की शुरुआत की थी। वाटर फिल्टर अमृत पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार और कर्नाटक की करीब 750 जगहों पर 5 लाख लोगों को 5 पैसे प्रति लीटर की दर से शुद्ध पानी मुहैया करवा रहा है। इसे चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं पड़ती और समय भी कम लगता है।
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