अकेले फैशन उद्योग सालाना 20 फीसदी केमिकल मिला दूषित पानी (polluted water) का उत्पादन करता है। इतना ही नहीं सालाना 5 लाख टन सिंथेटिक माइक्रोफाइबर (synthetic micro fiber waste) कचरा भी महासागर में प्रवाहित करता है। वहीं एक औसत उपभोक्ता (consumer) 15 साल पहले की तुलना में आज 60 प्रतिशत अधिक कपड़े खरीदता है। जबकि खरीदे गए प्रत्येक कपड़े को वह अब पूर्व की तुलना में आधा समय तक ही पहनता है। फैशन उद्योग का वर्तमान बाजार मूल्य करीब 17 लाख अरब रुपए है। यह दुनिया भर के देशों में करीब 7.5 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार देता है। लेकिन हर साल फैशन उद्योग को कपड़ों को रिसाइकिल (recycling) कर उपयोग न कर पाने के कारण 50 हजार करोड़ का घाटा भी उठाना पड़ता है। ये वे कपड़े हैं जो या तो पुराने हो चुके हैं या बिल्कुल फट गए हैं। लेकिन इन्हें रिसाइकिल करने की बजाय फेंक दिया जाता है। इतना ही नहीं 24 फीसदी कीटनाशकों और 11 फीसदी पेस्टिसाइड (pesticides) के लिए भी उद्योग ही जिम्मेदार है।
अमरीकन लेखक स्टीफन लेह्य की किताब ‘Your Water Footprint’ के अनुसार एक सामान्य जींस और टी-शर्ट का जोड़ा बनाने में 12900 लीटर से ज्यादा पानी खर्च होता है। इस पानी में जींस धोने में इस्तेमाल होने वाला पानी शामिल नहीं है। यूनाइटेड नेशन्स एनवायरमेंटल प्रोग्राम (UNITED NATION’S ENVIRONMENTLE PROGRAM) के मुताबिक एक सामान्य अमरीकी का प्रतिदिन औसतन वॉटर फुटप्रिंट (WATER FOOTPRINT) 8000 लीटर है।
एक शोध अध्ययन के अनुसार अगर आप एक जोड़ी कपड़े 9 महीने से ज्यादा पहन लेते हैं तो इससे कार्बन फुटप्रिंट 30 फीसदी तक कम हो जाता है। अगर हम में से हर कोई इस साल नए कपड़ों की बजाय रीसायकल किया हुआ कपड़ा खरीदे तो इससे तकरीबन 2.7 किलोग्राम कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) का उत्सर्जन रोका जा सकता है। अगर व्यक्तिगत तौर पर लोग इस पर काम करें तो हम सभी एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। वहीं फैशन इंडस्ट्री को अधिक सस्टेनेबल (SUSTAINABLE) बनाने के लिए आम जन से लेकर, सेलेब्रिटीज, उत्पादकों और सरकार सभी को अपना सहयोग देना होगा। थ्रेडअप जैसी कुछ वेबसाइटें पर ऐसे ब्रांड्स की जानकारी उपलब्ध हैं जो पुराने और रिासयाइकिल किए गए कपड़ों से बने हैं। इनमें द रियलरेल और पॉशमार्क जैसे ब्रांड भी शामिल हैं। इनमें से कई कपड़े तो 20साल पुराने रिसाइकिल कपड़ों से बने हो सकते हैं। इसलिए रिसेल साइट, रिसाइकिल ब्रांड्स और पुराने कपड़ों को पहनकर हम पृथ्वी को नष्ट होने से बचा सकते हैं।
पुराने कपड़े खरीदने की शौकीन कैरेन टाउलोन ने बताया कि उन्होंने अपने पति के लिए ऐसे ही एक रिसेल-रिसाइकिल स्टोर से एक सूट पसंद किया। यह पॉल स्मिथ ब्रांड का एक पुराना सूट था जिसकी स्टोररूम कीमत 225 डॉलर थी। 20 फीसदी डिस्काउंट के बाद यह 180 डॉलर का पड़ा। जबकि ब्रांड की वेबसाइट पर ऐसे ही सूट की शुरुआती कीमत 1560डॉलर (करीब 1.60 लाख रुपए) थी। रियल-रियल साइट के अनुसार इस पुराने सूट की खरीदारी से कैरेन ने अपने पैसों के साथ ही 241 लीटर पानी और 43.49 मील (करीब 70 किमी) ड्राइव करने से उत्सर्जित होने वाले कार्बन फुटप्रिंट को भी बचा लिया था।
-जो कपड़े आप उपयोग में नहीं ले रहे हैं उन्हें जरुरतमंदों को दे दीजिए। ऐसी कई संस्थाएं आपके आस-पास मौजूद होंगी।
-अगर कोई कपड़ा थोड़ा बहुत कट या फट गया है तो उसे फेंकने की बजाय रफू कर लीजिए। अगर कपड़ा ज्यादा ही फट गया है तो उसका डोरमेट या बैग बना लीजिए। इससे गैर-इस्तेमाल वाले कपड़े रीसायकल हो सकेंगे और लैंडफिल साइट्स में जाने से बचेंगे।
-कपड़ों की उतनी ही खरीदारी कीजिए जितना आपकी जरुरत हो।
-स्मार्ट बनें और एक बार में अधिक से अधिक कपड़े धुलें ताकि प्रदूषण कम हो सके।
-भारत में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है, ऐसे में इसपर भी विचार करने की जरूरत है।
आज फैशन अभिव्यक्ति का जरिया बनने के साथ ही SOCIAL STATUS का भी प्रतीक बन गया है। फास्ट फैशन का मतलब ट्रेंडी क्लॉथ्स (TRENDY CLOTHES) बनाना है जो सस्ते दाम में सभी की पहुंच में हों। अब ऑनलाइन फैशन स्टोर्स और नामी ब्रांड्स एक ही साल में कपड़ों के नए डिजायन लॉन्च कर देते हैं। यही कारण है कि अब लोग पहले की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा कपड़े खरीदने लगे हैं। यही फास्ट फैशन कहलाता है। हैरानी की बात तो यह है कि इन खरीदे गए कपड़ों का 01फीसदी से भी कम रिसाइकल नहीं किया जाता है। हर साल 35,618 अरब रुपए के मूल्य के कपड़े नष्ट हो जाते हैं क्योंकि इन्हें रिसाइकल नहीं किया जाता है। अंत में ये कपड़े लैंडफिल साइट्स (LANDFILLS SITES) पर फेंके जाते हैं। साल 2000 में 50 अरब नए गारमेंट्स बने और आज यही आंकड़ाा दोगुना हो चुका है।