scriptलोकसभा चुनाव 2024: पहले चुनाव में आए थे आडवाणी, सवाईमाधोपुर तक था क्षेत्र | Patrika News
भरतपुर

लोकसभा चुनाव 2024: पहले चुनाव में आए थे आडवाणी, सवाईमाधोपुर तक था क्षेत्र

दिखाए गए फोटो 1952 में प्रथम सांसद चुने गए गिर्राजशरण सिंह उर्फ राजा बच्चू सिंह हैं व उस समय के चुनाव चिन्ह

भरतपुरApr 19, 2024 / 03:55 pm

Meghshyam Parashar

-भरतपुर के प्रथम लोकसभा चुनाव 1951-52 का इतिहास, अखबार में छपी खबर दिखाकर काम गिनाते थे प्रत्याशी
-पहली बार पढिय़े लोकसभा चुनाव ही ऐतिहासिक कहानी

1952 में भरतपुर लोकसभा चुनाव को लेकर मतदान के लिए लगी कतार।
1947 की भारत स्वतंत्रता के बाद 1950 में चुनाव आयोग का गठन आयोग के अध्यक्ष सुकुमार सेन के नेतृत्व में लोकसभा के प्रथम चुनाव जनरल इलेक्शन की घोषणा की। चुनाव 25 अक्टूबर 1951 से शुरू होकर 21 फरवरी1952 तक चले।
भरतपुर का पहला लोकसभा चुनाव 27 मार्च 1952 को पहली बार भरतपुर में लोकसभा की वोटिंग हुई। आजादी के बाद स्वतंत्र भारत का भरतपुर में यह पहला चुनाव था भरतपुर-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र था लोकसभा क्षेत्र में 748347 वोट थे। 1952 के लोकसभा चुनाव के साथ ही भरतपुर विधानसभा के चुनाव भी एक साथ ही थे भरतपुर-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र के चुनाव में भरतपुर से निर्दलीय प्रत्याशी गिर्राज शरण सिंह उर्फ राजा बच्चू सिंह 196391 वोट लेकर 28.6 प्रतिशत मत के साथ विजय घोषित हुए। उस समय भरतपुर सवाई- माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में दो सांसद चुने जाते थे। उनके साथ ही एससी के सांसद मानकचंद 176395 वोट लेकर कृषिकर लोक पार्टी से सांसद चुने गए।
सांसद गिर्राज शरण सिंह उर्फ राजा बच्चू सिंह ने अपने निकटतम कांग्रेस प्रत्याशी राजबहादुर को 57952 वोटो के लंबे अंतर से हराया। एसी के मानकचंद सांसद ने अमृतलाल यादव कांग्रेस को चुनाव में हराया। इस प्रकार भरतपुर-सवाई माधोपुर लोकसभा के प्रथम चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई
गौ रक्षा, मंदिरों की रक्षा विषय को लेकर चुनाव लड़ा। उन्होंने उस समय पर अपना प्रचार प्रचार में एक जीप एवं हवाई जहाज का उपयोग किया। क्योंकि राजा बच्चू सिंह स्टेट के भी बेहतर पायलट रहे थे। उस समय अधिकतर प्रत्याशी साइकिल ,ऊंट गाड़ी, बैलगाड़ी, गधा गाड़ी से प्रचार करते थे। नारों का बहुत प्रचलन था। सडक़ ,पानी ,बिजली, अस्पताल की मांगे जनता की ओर से उठने लगी थी। झंडे व हाथ से बने पोस्ट बैनर प्रचार सामग्री होती थी। राजस्थान में उस समय विधानसभा की 160 सीट थी। भरतपुर विधानसभा से हरिदत्त, किसान मजदूर लोक पक्ष के विधायक चुने गए थे। राजस्थान में 20 सदस्य विधायक दोहरी होते थे। वैर और बाड़ी से दो विधायक होते थे। भरतपुर -सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र का मतदान 27 मार्च 1952 को तीन दिन तक हुआ था। उस समय 45.9त्न वोटर्स ने मतदान का उपयोग किया था। पूरे भरतपुर-सवाई माधोपुर लोकसभा में 400 वाहन रजिस्टर्ड थे। भरतपुर में 120 वाहन ही रजिस्टर्ड थे। संसाधनों की बहुत कमी थी। पोलिंग पार्टियों के लिए वाहनों के अलावा ऊंट गाड़ी बैलगाड़ी एवं साइकिलों का उपयोग किया गया था। भरतपुर में केवल 8त्न लोग साक्षर थे। शराब का चलन चुनावों में बिल्कुल नहीं था। लोकसभा चुनाव खर्च की सीमा 6000 थी। अखबार में छपी खबर की कटिंग दिखाकर प्रत्याशी अपने काम गिनाते थे।
साइकिल, ऊंट गाड़ी, बैलगाड़ी, रथ, मझोली, इक्का, घोड़े व तांगे का उपयोग कर 72 वर्ष पूर्व हुए। उस समय राजस्थान में 76 लाख 76419 मतदाताओं में से 37 लाख 05956 वोट डाले गए थे। 1952 के लोकसभा के साथ ही पहली बार राजस्थान विधानसभा के चुनाव 24 जनवरी 1952 को हुए 160 सीटों के लिए राजा मानसिंह कुम्हेर विधानसभा से विजयी हुए।
1952 में अजमेर राज्य अलग था और 30 सीटों के विधानसभा चुनाव हुए

नेताओं को सुनने के लिए ज्यादा भीड़ नहीं होती थी छोटी-छोटी सभाएं होती थी माइक लाउडस्पीकर कम थे सभा तिराए, चौराहे, नोहरों चौपाल, धर्मशालाओं में होती थी। आकाशवाणी में नेताओं के विचारों को सुनने के लिए के लिए लॉटरी चुनाव विभाग निकलता था तथा सभी पार्टियों को समय दिया जाता था। बेरोजगारी व नौकरी देने का मुद्दा घोषणा पत्रों में शामिल था। पूरे राजस्थान की 1951- 52 में 84त्न आबादी निरक्षर थी, जो लोकतंत्र के लिए घातक थी। 80 लाख महिलाओं ने अपना नाम बताने के बजाय परिवार के पुरुष का नाम व उससे रिश्ता बताया था। मैं उसकी की पत्नी हूं… उसकी की बहू हूं… महिला का वोटिंग प्रतिशत ज्यादा रहा था। चुनाव में संसाधनों की बहुत कमी थी।
हर कैंडिडेट के लिए अलग-अलग रंग के वैलेट बॉक्स

कन्फ्यूजन ना हो साथ ही उन पर चुनाव चिन्ह व प्रत्याशी के नाम लिखे गए थे। वैलेट पेपर केवल एक पर्ची होती थी। जिस पर भारत सरकार का अशोक स्तंभ और एक नंबर अंकित होता था प्रत्याशी का नाम या चुनाव चिन्ह वैलिड पेपर पर नहीं होता था। चुनाव चिन्ह वैलिड पेपर पर नहीं होता था उसे समय 1951- 52 में भरतपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक के प्रचारक के रूप में लालकृष्ण आडवाणी भरतपुर के चुनाव में थे। वह बताते थे कि उस समय भी बहुत से लोग निरक्षर मतदाताओं से उन पर्चियां को लेकर उनका अपनी पेटी में डालकर दुरुपयोग करते थे। भरतपुर के बूथों पर 3 दिन तक वोटिंग हुई थी। उस समय किशोरी महल किले में भरतपुर का सचिवालय संचालित था। वहीं पर भरतपुर-सवाई माधोपुर जिले की समस्त वोटों की पेटियों का संकलन किया गया और वहीं पर मतगणना की गई थी। साथ ही वहां नीचे एक लाउडस्पीकर लगाकर बड़े बोर्ड पर मतदान का रुझान पहली बार प्रदर्शित किया गया था।
पहले चुनाव में छह राष्ट्रीय पार्टियां थी

कांग्रेस बैलों की जोड़ी थी। ऑल इंडिया भारतीय जन संघ दीपक, सोशलिस्ट पेड़ों, किसान मजदूर प्रजा पार्टी का चुनाव चिन्ह झोपड़ी, राम राज्य परिषद का उगता हुआ सूरज के साथ-साथ निर्दलीय व क्षेत्रीय पार्टियों का भी पूरा हस्तक्षेप था। उस समय भरतपुर-सवाई माधोपुर लोकसभा दोहरी सांसदों की सीट थी। एक सांसद जनरल व दूसरा सांसद अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व था।
…नियुक्त हुए थे 16 हजार लडक़े

पहली मतदाता सूची टाइप करने व मिलान करने के लिए 6 महीने के अनुबंध पर पूरे भारत में 16000 लडक़ों की नियुक्ति की गई थी। उस समय संपूर्ण भारत की आबादी 361088090 थी। उस समय भारत का प्रथम लोकसभा चुनाव सबसे लंबा 68 चरणों में चुनाव संपन्न हुआ। 196884 मतदान केंद्र थे। इसमें से 27527 बूथ महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए थे। उस समय के भारत के बड़े नेता पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस, श्यामा प्रसाद मुखर्जी जनसंघ, बी आर अंबेडकर शेड्यूल कास्ट फेडरेशन, प्रशासन दास टंडन किसान मजदूर, प्रजापति आचार्य कृपलानी, राम मनोहर लोहिया, जयप्रकाश नारायण आदि प्रमुख राष्ट्रीय नेता थे। भरतपुर-सवाई माधोपुर लोकसभा के लिए चुने गए प्रत्याशी गिर्राजशरण सिंह उर्फ राजा बच्चू सिंह ने निर्दलीय जीतकर कांग्रेस के कद्दावर नेता राज बहादुर को पटकनी दी एवं भरतपुर में प्रथम लोकसभा चुनाव में राज परिवार का दबदबा कायम रहा। गिर्राज शरण सिंह उर्फ राजा बच्चू सिंह का चुनाव चिन्ह मुर्गा था। वह एक वाहन से ही प्रचार कार्य करते थे। सुबह नौ बजे से शाम पांच बजे तक ही चुनाव प्रचार करते थे। वह बड़े ही अनुशासित पायलट थे। कुछ जगह न पहुंचने पर वे अपने पायलट का हुनर दिखाते हुए गांव में अपने लिए मुर्गी पर मतदान करने की अपील करते हुए समर्थन के परचे जहाज से फेंक देते थे। लोग उन पर्चों को पढकऱ बड़े ही खुश होते थे तथा उनके पक्ष में अपील समझकर भारी मतदान कर अपना समर्थन देकर उन्हें प्रथम लोकसभा में विजयी कर भरतपुर-सवाई माधोपुर लोकसभा से प्रथम लोकसभा में दिल्ली पहुंचाया।
डॉ. सुधा चौधरी
लेखक एवं इतिहासकार

Home / Bharatpur / लोकसभा चुनाव 2024: पहले चुनाव में आए थे आडवाणी, सवाईमाधोपुर तक था क्षेत्र

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो