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वयस्क होने पर दोस्त बनाना मुश्किल, इसलिए ‘किराए’ पर मिल रहे

-शोध में सामने आया कि अब रिश्तों का भी व्यावसायीकरण होने लगा है-पेशेवर निर्माता युवाओं के एकाकीपन को भरकर पैसे कमाने के साथ उनका अकेलापन भी दूर कर रहे हैं। दरअसल, जिम्मेदारियों में घिरे वयस्कों के लिए नए दोस्त बना पाना आसान नहीं होता।

जयपुरNov 23, 2019 / 09:21 pm

Mohmad Imran

वयस्क होने पर दोस्त बनाना मुश्किल, इसलिए 'किराए' पर मिल रहे

वयस्क होने पर दोस्त बनाना मुश्किल, इसलिए ‘किराए’ पर मिल रहे

नॉरीन बटलर 46 वर्षीय तलाकशुदा उद्यमी हैं और हाल ही एक रियलिटी शो के तहत उन्हें 51 वर्षीय तलाकशुदा उद्यमी रेबेका केली से दोस्ती करने का अवसर मिला है। नॉरीन का मानना है कि दोस्त कैसे भी हों उन्हें छोडऩा नहीं चाहिए क्योंकि जैसे-जैसे हम वयस्क होते जाते हैं हमारे लिए विश्वसनीय दोस्त बना पाना मुश्किल होता जाता है। यह बात अब शोध से भी साबित हो गई है। मैच मेकर मिशेल जैकब का कहना है कि सोशल मीडिया के इस दौर में सच्ची दोस्ती को साधना कठिन है। रोजगार, बच्चों की जिम्मेदारियों, माता-पिता की देखभाल में व्यस्त वयस्क अपनी दोस्ती को उतना समय नहीं दे पाते जितना किशोर या बचपन में बनाए दोस्तों के साथ हम घनिष्ठ मित्रता का रिश्ता जोड़ लेते हैं।
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ये हैं प्रमुख कारण
कैसर फैमिली फाउंडेशन के अध्ययन में 48 फीसदी अमरीकियों ने प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग को अकेलेपन का प्रमुख कारण माना। ऐसे ही 2016 के गैलप सर्वेक्षण के अनुसार, 43 फीसदी अमरीकी कर्मचारियों ने स्वीकार किया कि दोस्तों से दूर दूसरे शहर में रहने या काम करने से भी अकेलापन बढ़ा है। सिंगल रहने के चलन ने भी इसमें इजाफा किया है।
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घट रहे हैं अमरीकियों के जिगरी दोस्त
दोस्त बनाने के इस व्यवसाय का उदय ही इस विचार के साथ हुआ है कि आज हर कोई अपने जीवन में एक खालीपन महसूस करता है। कैसर फैमिली फाउंडेशन सर्वे 2018 के अनुसार 10 में से 2 अमरीकी मानते हैं कि वे अक्सर अकेलापन महसूस करते हैं। 50 से कम उम्र के वयस्कों में यह परेशानी ज्यादा थी। जनरल सोशल सर्वे के अनुसार 1985 में एक औसत अमरीकी के कम से कम 3 विश्वसनीय दोस्त हुआ करते थे। 2004 तक यह संख्या 2 रह गई। एक चौथाई ने यह भी कहा कि उनका एक भी जिगरी दोस्त नहीं है।
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‘दोस्ती’ बनी व्यवसाय
लेेकिन ‘द आर्ट ऑफ गैदरिंग’ की लेखिका प्रिया पार्कर इसे ‘संबंधों का पूंजीकरण’ कहती हैं। वर्कशॉप, गेट-टूगेदर, गेम्स और ‘मीट माय डॉग’ जैसे प्रोग्राम से पालतू जानवरों को भी लोगों का अकेलापन दूर करने के लिए उपयोग किया जा रहा है। लोगों में सामाजिकता, मित्रता और अकेलेपन को दूर करने के लिए अब शहरों में अब रोटरी क्लब और बाउलिंग लीग्स जैसे समूह आम हैं। इन दिनों दोस्ती करवाने और उसे लंबे समय तक बनाए रखने के लिए एक वीडियो गेम भी विकसित किया जा रहा है।
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वयस्कों के लिए फ्रेंडशिप ऐप
‘पीनट’ नाम का ऐप खास मॉम्स के लिए है। अकेले अमरीका में ऐप के 10 लाख से अधिक उपयोगकर्ता हैं। संस्थापक मिशेल कैनेडी को मातृत्व अवकाश के दौरान इसे बनाने का खयाल आया था। यह ऐप केवल हैंगआउट डेस्टिेनशन नहीं है बल्कि मैसेज बोर्ड पर ग्रुप मेम्बर्स बच्चों की नींद, स्तनपान कराने का सही तरीका, काम पर वापस लौटने पर ध्यान रखने वाले जरूरी सुझाव और अपनी निराशा साझा करती हैं।
‘रेंट ए फ्रेंड’ ऐप से आप बोर होने से बचने के लिए किसी मैच या मूवी में एक दोस्त को किराए पर ले जा सकते हैं। ऐप ‘पीपुल्स वॉकर’ में लोग आपके साथ एक निश्चित जगह पर घूमते-फिरते हैं। इस ऐप पर सैकड़ों वॉकर का नेटवर्क है जो 30 मिनट के लिए 21 डॉलर का शुल्क लेते हैं।
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60 घंटे में बनते दोस्त
फ्रेंडशिप एक्सपर्ट और लेखिका शास्ता नेल्सन का कहना है कि किसी परिचित को अपना कैजुअल दोस्त बनाने में आमतौर पर 50 से 60 घंटे लगते हैं। नेल्सन ने शोध में पाया कि वयस्कों के लिए नए दोस्तों से मिलने की सबसे आम जगह उनका ‘कार्यस्थल’ होता है। दो अंजान लोगों के बीच दोस्ती के लिए दोनों में कुछ बातों का एक समान होना भी जरूरी है। हालांकि, ये काम की व्यस्तता ही उन्हें अपने दोस्तों के साथ समय बिताने का अवसर नहीं देता है।
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