जिस तरह से प्राकृतिक गैस से बड़े बड़े टरबाइन चलाकर बिजली पैदा की जाती है, ठीक उसी तरह से प्लास्टिक के कूड़े करकट के ताप अपघटन से बिजली बनाने की तकनीक विकसित कर ली गई है। गैस तकनीक की तरह से प्लास्टिक से निकली गैसें टरबाइन घुमाकर बिजली पैदा करेगी।
इससे उन क्षेत्रों में बिजली की समस्या से निजात मिलने की उम्मीद है जहां प्लास्टिक वेस्ट मैटेरियल अधिक होता है। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टायर पाइरोलीसिस प्लांट एक्पर्ट कमेटी के सदस्य और जयपुर स्थित जेके लक्ष्मीपत्त विश्वविद्यालय के निदेशक डॉ. शिशिर चंद्र भण्डुरी ने यह तकनीक ईजाद की है।
केन्द्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (सीपेट) चैन्नई की ओर से यहां निजी होटल में ‘प्लास्टिक के सकारात्मक गुण और इसका अपशिष्ट प्रबंधन’ पर आयोजित तकनीकी सेमिनार में भाग लेने जोधपुर आए डॉ. भण्डुरी ने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में प्लास्टिक से बिजली बनाने की तकनीक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह तकनीक अपने अंतिम परीक्षण दौर से गुजर रही है। केन्द्र सरकार को भी इस संबंध में प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है।
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