भाजपा प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते इस सीट से राकेश सिंह की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी। विधानसभा चुनाव में हार के बाद जबलपुर में अंदरुनी गुटबाजी न केवल हावी होने लगी थी, बल्कि कुछ मौकों पर खुलकर सामने भी आई थी। अब इस परिणाम के बाद भाजपा का जिला स्तर पर राजनीतिक गणित बदलेगा। दिल मिले न मिले पर एकजुटता का प्रदर्शन करना मजबूरी होगी, जिसके संकेत भी मिलने शुरू हो गए हैं।
हालांकि, विधानसभा में जीत से उत्साहित कांग्रेस को इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। कांग्रेस विधायकों और कार्यकर्ताओं ने चुनाव में न सिर्फ एकजुटता दिखाने की कोशिश की थी, बल्कि राकेश सिंह के तीन कार्यकाल के कामकाज पर सवाल उठते हुए जनता के सामने उनकी नाकामी गिनाई। साफ-सुथरी छवि वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता विवेक तन्खा ने स्थानीय विकास को चुनावी मुद्दा बनाया, लेकिन मोदी मैजिक के सामने सभी दावे धराशायी हो गए। वे हर राउंड में पिछड़ते गए। यहां तक कि वित्तमंत्री तरुण भनोत के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में ही कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई। आठ विधानसभाओं में केवल मंत्री लखन घनघोरिया के पर्व क्षेत्र में ही कांग्रेस ठीक-ठाक कर सकी। इतना ही नहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभाएं भी बेअसर साबित हुईं।
हालांकि, विधानसभा में जीत से उत्साहित कांग्रेस को इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद थी। कांग्रेस विधायकों और कार्यकर्ताओं ने चुनाव में न सिर्फ एकजुटता दिखाने की कोशिश की थी, बल्कि राकेश सिंह के तीन कार्यकाल के कामकाज पर सवाल उठते हुए जनता के सामने उनकी नाकामी गिनाई। साफ-सुथरी छवि वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता विवेक तन्खा ने स्थानीय विकास को चुनावी मुद्दा बनाया, लेकिन मोदी मैजिक के सामने सभी दावे धराशायी हो गए। वे हर राउंड में पिछड़ते गए। यहां तक कि वित्तमंत्री तरुण भनोत के पश्चिम विधानसभा क्षेत्र में ही कांग्रेस की बुरी तरह हार हुई। आठ विधानसभाओं में केवल मंत्री लखन घनघोरिया के पर्व क्षेत्र में ही कांग्रेस ठीक-ठाक कर सकी। इतना ही नहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री कमलनाथ की सभाएं भी बेअसर साबित हुईं।