जयपुर

नगर निगम चुनाव 2020: BJP में बिना छंटनी छंट गए दावेदार! अब पार्षद बनने के लिए तलाश रहे विकल्प

नगर निगम चुनाव 2020, तीन शहरों की 6 नगर निगमों में होने हैं चुनाव, प्रदेश भाजपा ने तय किये हैं दो महत्वपूर्ण मापदंड, स्थानीय वार्ड निवासी को ही मिलेगा टिकिट, 65 वर्ष से अधिक उम्र की दावेदारी भी होगी निरस्त, मापदंड से दावेदारी जताने वाले कई नेताओं के बीच मायूसी, पार्षद बनने का मौक़ा भुनाने में तलाश रहे अन्य विकल्प
 

जयपुरOct 15, 2020 / 11:37 am

Nakul Devarshi

जयपुर।
नगर निगम चुनाव में पार्षद प्रत्याशी चयन के लिए प्रदेश भाजपा के नए मापदंड ने दावेदारी जता रहे कई नेताओं को झटका दे गया है। अब ऐसे संभावित दावेदार मौके को किसी तरह से भुनाने की जुगत में जुट गए हैं। सूत्रों के अनुसार जिन नेताओं को पार्टी के नए मापदंड से नाउम्मीदी हुई है वे अब परिवारजन के नाम पर ही टिकिट का दावा ठोकने की प्लानिंग में जुट गए हैं। वहीं इसमें भी खरे नहीं उतर पाने पर बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में टाल ठोकने का मन बना रहे हैं।
गौरतलब है कि प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने वार्ड पार्षद प्रत्याशी के लिए दावेदार का स्थानीय वार्ड निवासी और 65 वर्ष से ऊपर नहीं होने का मापदंड तय किया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी के इस फैसले से दावेदारों की छंटनी से पहले ही कई दावों की स्वतः ही छंटनी हो जायेगी।
वार्ड बदलकर भी लड़ते रहे हैं चुनाव
नगर निगम चुनाव में वार्ड बदलकर चुनाव लड़ना कोई नई बात नहीं है। वार्ड आरक्षण लॉटरी के बाद जब किसी नेता की स्थानीय वार्ड से दावा नहीं कर पाने की मजबूरी होती है तब वो नज़दीकी या अन्य कोई वार्ड से दावेदारी करता है। लेकिन अब भाजपा से टिकिट की दावेदारी करने वाला ऐसा नहीं कर पायेगा।
उम्रदराज़ नेताओं को भी झटका
भाजपा का 65 वर्ष से अधिक आयु के दावेदार को टिकिट नहीं देने के फैसले ने भी कई नेताओं को मायूस कर दिया है। जानकारी के मुताबिक़ पार्टी में ऐसे कई नेता हैं जो उमरदराज होते हुए भी पार्षद चुनाव लड़ने की चाह रख रहे थे। मापदंड तय होने से पहले ऐसे कई नेताओं ने वार्ड पार्षद चुनाव के लिए भाजपा से टिकिट का दावा भी किया।
… तो निर्दलीय उतरेंगे चुनाव मैदान में
नगर निगम चुनाव के लिए नामांकन भरने की अंतिम तारिख से ठीक पहले भाजपा के दो महत्वपूर्ण मापदंड में फेल हो रहे नेताओं का अब निर्दलीय चुनाव लड़ना ही एकमात्र विकल्प रह गया है। दरअसल, ये वो नेता हैं जो पार्टी से जुडी हर गतिविधियों में शामिल रहे और उनमें बध्चाकर मौजूदगी दर्ज करवाई। लेकिन अब वे पार्टी मापदंडों में खरे नहीं उतर रहे। संगठन से जुड़ाव होने के कारण वे कांग्रेस पार्टी से भी टिकिट की मांग नहीं कर सकते। लिहाजा उनके पास बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव लड़ने का ही विकल्प रह गया है।
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