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सेवानिवृत्ति के 30 साल बाद अदालत के आदेश से मिली पेंशन सुविधा

स उच्च न्यायालय ने 88 वर्षीय सरकारी कर्मचारी का पक्ष लेते हुए राज्य सरकार को उसे पेंशन के साथ दी जाने वाली सभी सुविधाएं देने का आदेश दिया है।

Nov 28, 2018 / 02:17 pm

PURUSHOTTAM REDDY

चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने 88 वर्षीय सरकारी कर्मचारी का पक्ष लेते हुए राज्य सरकार को उसे पेंशन के साथ दी जाने वाली सभी सुविधाएं देने का आदेश दिया है।
याचिकाकर्ता की पेंशन की कार्रवाई राज्य सरकार ने अनुशासनात्मक कारणों से रोक रखी थी। याचिकाकर्ता आर. के. सुंदरराजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश आर. सुरेश कुमार ने कहा कि सरकारी अधिकारियों ने अपीलकर्ता के खिलाफ पिछले 30 सालों में अनुशनात्मक कार्रवाई खत्म न करने का कोई ठोस कारण नहीं दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी सेवानिवृत्ति से 10 महीने पहले 26 जनवरी 1988 को मुख्य शैक्षणिक अधिकारी, रामनाथापुरम के जारी किए हुए चार्ज मेमो को खारिज करने की अपील की थी। उसने 30 नवंबर 1988 को अपने मिड डे मील सुपरवाइजर के पद से सेवानिवृत्ति और पेंशन लाभ के लिए अधिकारियों से निर्देश मांगा था। उसके खिलाफ लंबित आपराधिक मामले पर न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में अधिकारियों की लापरवाही ने याचिकाकर्ता के विरुद्ध अनुशानात्मक कार्रवाई भी पूरा नहीं होने दी।
उल्लेखनीय है कि 2007 में मजिस्ट्रेट अदालत ने भी कहा था कि मामले के कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे इसलिए ट्रायल को आगे नहीं बढ़ाया गया। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि इस प्रकार की लापरवाही सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ स्वीकार्य नहीं है। अदालत ने चार्ज मेमो को रद्द कर अधिकारियों को याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति की तारीख से रिटायर करने और आदेश जारी करने के 6 सप्ताह के भीतर उसे पेंशन और सेवानिवृत्ति के सभी लाभों का भुगतान करने का आदेश दिया।

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